अंतर्राष्ट्रीय
13-Aug-2025
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वाशिंगटन (ईएमएस)। वैज्ञानिकों ने असामान्य घटना दर्ज की, जब पृथ्वी ने अपनी धुरी पर घूमने में सामान्य से ज्यादा समय लिया। पृथ्वी को एक पूरा चक्कर लगाने में औसतन 1.45 मिलीसेकंड ज्यादा लगे । वैज्ञानिकों के लिए यह बदलाव बेहद महत्वपूर्ण है। आमतौर पर एक सौर दिवस 24 घंटे यानी 86,400 सेकंड का होता है, लेकिन इस दिन यह अवधि बढ़कर 86,400.00145 सेकंड हो गई। अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए इस बदलाव को मापा गया। पृथ्वी की घूर्णन गति कई कारणों से बदलती रहती है। वायुमंडल में हवाओं के पैटर्न, समुद्री धाराओं के प्रवाह और पृथ्वी के भीतर मौजूद पिघले हुए धात्विक कोर की हलचल इसके प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल समुद्रों में ज्वार-भाटा उत्पन्न करता है, जो धीरे-धीरे पृथ्वी की गति को धीमा करता है। 5 अगस्त को दक्षिणी गोलार्ध में असामान्य मौसमीय परिस्थितियां थीं। कुछ क्षेत्रों में तेज हवाओं ने पृथ्वी की सतह पर ऐसा प्रभाव डाला कि उसकी घूर्णन गति क्षणिक रूप से धीमी हो गई, जिसके परिणामस्वरूप दिन की लंबाई में यह सूक्ष्म वृद्धि दर्ज हुई। चंद्रमा का ज्वारीय खिंचाव और पृथ्वी के पिघले हुए कोर में हो रही गतिशील प्रक्रियाएं भी इस बदलाव में योगदान देती हैं। ये गतिविधियां पृथ्वी के द्रव्यमान के वितरण को प्रभावित करती हैं, जिससे घूर्णन में हल्का उतार-चढ़ाव आता है। वैज्ञानिक इन परिवर्तनों पर लगातार नजर रखते हैं, क्योंकि समय की सटीकता आधुनिक तकनीकी प्रणालियों के लिए अत्यंत जरूरी है। जीपीएस नेविगेशन, उपग्रह संचार और अंतरिक्ष मिशनों जैसी प्रणालियां बेहद सटीक समय पर निर्भर करती हैं। अगर पृथ्वी की गति में मिलीसेकंड का भी बदलाव अनदेखा रह जाए, तो इन प्रणालियों में त्रुटियां आ सकती हैं। इसी कारण अंतरराष्ट्रीय मानक समय को इन परिवर्तनों के अनुसार समायोजित किया जाता है। हालांकि, इस बार का बदलाव आम लोगों के लिए किसी खतरे का संकेत नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक इसे हल्के में नहीं लेते। ऐसे बदलाव प्राकृतिक रूप से समय-समय पर होते रहते हैं, फिर भी यह संभव है कि ये पृथ्वी के आंतरिक या बाहरी वातावरण में किसी बड़े बदलाव की शुरुआती चेतावनी हों। सुदामा/ईएमएस 13 अगस्त 2025