भुवनेश्वर (ईएमएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान केवल उनकी आबादी को नियंत्रित करके ही संभव है। उन्हें शेल्टर होम भेजना स्थायी समाधान नहीं है। कटक के जवाहरलाल नेहरू इंडोर स्टेडियम में आयोजित एक धार्मिक सभा में भागवत ने कहा कि मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन जरूरी है। विकास और पर्यावरण को साथ लेकर ही प्रकृति का संरक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के संदर्भ में दी, जिसमें 8 हफ्तों के भीतर दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को आवासीय इलाकों से हटाकर शेल्टर होम भेजने का निर्देश दिया गया था। गुरुवार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई हुई। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की स्पेशल बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कटक में सभा के बाद मोहन भागवत पुरी पहुंचे, जहां उन्होंने गोवर्धन पीठ में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया और धार्मिक मुद्दों पर चर्चा की। इसके बाद उन्होंने श्री जगन्नाथ मंदिर में दर्शन किए। - पारंपरिक तरीकों की वकालत देशभर से आए 500 से अधिक संतों की मौजूदगी में सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि प्रकृति से जुड़े मुद्दों का समाधान पारंपरिक तरीकों से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान धरती का अत्यधिक दोहन नहीं करते, जिससे हमारी मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है, जबकि यूरोप और अफ्रीका में ज्यादा उपज के लिए अत्यधिक खाद डालकर मिट्टी को नुकसान पहुंचाया जाता है।