नई दिल्ली,(ईएमएस)।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की बढ़ती चुनौती के बीच पूर्वी लद्दाख में बीते करीब साढ़े चार साल से जारी एलएसी विवाद की समाप्ति के बाद द्विपक्षीय संबंधों को फिर से सामान्य बनाने में जुटे भारत और चीन के लिए एक और अच्छी खबर सामने आई है। जिसमें यह जानकारी मिली है कि जल्द ही यानी अगले सितंबर महीने की शुरुआत में ही दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवाओं की शुरुआत हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने एयर इंडिया और इंडिगो जैसी विमानन क्षेत्र की कंपनियों को छोटी अवधि में चीन के लिए उड़ानों के संचालन के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा कर सकते हैं। उस दौरान ही इस संबंध में दोनों देशों द्वारा आधिकारिक रूप से कोई घोषणा की जा सकती है। मामले पर अभी तक फिलहाल सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। यहां बता दें कि 2020 में पहले कोरोना महामारी और फिर उसके बाद एलएसी विवाद की वजह से भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान सेवाओं पर रोक लगाई थी। लेकिन बीते वक्त में दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से संबंधों में सुधार को लेकर जारी कवायद के बीच उठाए जाने वाले अहम कदमों में पुन: कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत से लेकर नई दिल्ली से बीजिंग तक सीधी उड़ान सेवाओं के आगाज और दोनों देशों की आम जनता के लिए वीजा सुविधा की बहाली मुख्य रूप से शामिल किए गए थे। कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। भारत ने पिछले महीने ही चीन के नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा की शुरुआत कर दी है। अब सीधी उड़ान सेवाओं के आगाज को लेकर भी सकारात्मक जानकारी सामने आ रही है। पूर्व में रोक से पहले दोनों देशों के प्रमुख महानगरीय शहरों के बीच सप्ताह में करीब दर्जनभर उड़ानें संचालित की जाती थीं। जिनमें दोनों की प्रमुख विमानन कंपनियां बीजिंग, शंघाई, कुनमिंग, ग्वांगझू और नई दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों के बीच उड़ान भरती थीं। बता दें कि 2020 में एलएसी विवाद की शुरुआत के तुरंत बाद पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई खूनी हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के कूटनीतिक संबंध पूरी तरह से पटरी से उतर गए थे। इस झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी मारे गए थे। जबकि चीन के दो दर्जन से अधिक सैनिक काल के गाल में समा गए थे। एलएसी पर सरहदी तनाव चरम पर जा पहुंचा। दोनों ओर से भारी भरकम हथियारों के साथ सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई। लेकिन इसके बीच विवाद समाधान की कोशिशें भी जारी रही। दोनों तरफ से शीर्ष सैन्य कमांडर मिलते रहे। वीरेंद्र/ईएमएस/13अगस्त2025 -----------------------------------