राज्य
13-Aug-2025
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गरियाबंद(ईएमएस)। सुपेबेड़ा के किडनी रोगी जहां इलाज और जीवनरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी उनकी मदद के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। ताजा मामला महंगी एंबुलेंस सेवा का है, जिसे बिना निविदा प्रक्रिया के शुरू किया गया और रायपुर की एक ट्रेवल्स कंपनी को 10 लाख रुपये से अधिक का भुगतान भी कर दिया गया। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सुपेबेड़ा के लिए जिस एंबुलेंस सेवा का शुभारंभ किया था, वह साल भर भी नहीं चल पाई। कारण महंगे किराए पर वाहन संचालन के लिए विभाग के पास बजट ही नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, एंबुलेंस के लिए कोई औपचारिक अनुबंध नहीं किया गया। एक ही फर्म को मनमानी दर पर वाहन लगाने की अनुमति दी गई। बिल के अनुसार, 2000 किलोमीटर मासिक चलने पर 1.05 लाख रुपये किराया तय किया गया, यानी 52.5 रुपये प्रति किलोमीटर। अतिरिक्त दूरी पर अलग से भुगतान का प्रावधान भी रखा गया। दिलचस्प बात यह है कि रायपुर और गरियाबंद में बोलरो एंबुलेंस का सामान्य किराया क्रमशः 55–65 हजार और 45 हजार रुपये मासिक है। इसके बावजूद विभाग ने ढाई गुना ज्यादा कीमत पर सेवा ली। पूर्व सीएमएचओ के कार्यकाल में इस फर्म ने भुगतान की गारंटी के लिए स्टांप पेपर पर करार किया था और सीएमएचओ दफ्तर में एक और वाहन भी लगाया था। नए सीएमएचओ यूके नवरत्न को जब मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने महंगे वाहनों को हटाकर आर्थिक नुकसान पर रोक लगाई। हालांकि, फर्म ने 13 माह की सेवा के लिए 15 लाख रुपये का दावा किया है, जिसमें से 10 लाख से ज्यादा का भुगतान पहले ही एनएचएम मद से किया जा चुका है। इस बीच, जिले को पांच नए एंबुलेंस मिले, जिनमें दो जिला प्रशासन ने खरीदे। लेकिन सुपेबेड़ा के लिए भेजी गई सरकारी मिनी एंबुलेंस 2 लाख किलोमीटर चल चुकी है और स्टेपनी तक नहीं है, जिससे चालक लंबी दूरी की इमरजेंसी सेवा देने में हिचकिचा रहे हैं। सीएमएचओ यूके नवरत्न ने सुपेबेड़ा के लिए नए एंबुलेंस भेजे जाने की पुष्टि की, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा शुरू की गई महंगी एंबुलेंस की खरीद प्रक्रिया और भुगतान के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली और कहा कि इस संबंध में पूरी जानकारी डीपीएम के पास है। सत्यप्रकाश(ईएमएस)13 अगस्त 2025