लेख
13-Aug-2025
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अखंड भारत, श्रेष्ठ भारत, सर्वश्रेष्ठ भारत हम सबकी अभिकल्पना है। सारगर्भित, अखण्ड भारत महज सपना नहीं, श्रद्धा, तपस्या, निष्ठा और जीता-जागता शरीर है। जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो। वन्देमातरम् जिनका राष्ट्रघोष और राष्ट्रगान हो, ऐसे असंख्य अंत:करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं। अखण्ड भारत के संकल्प को कैसे त्याग सकते हैं? किन्तु लक्ष्य के शिखर पर पहुंचने के लिए यथार्थ की कंकरीली-पथरीली, कहीं कांटे तो कहीं दलदल, कहीं गहरी खाई तो कहीं रपटीली चढ़ाई से होकर गुजरना ही होगा। सवाल दर सवाल भारत क्या है? क्या वह भूगोल है? क्या इतिहास है या कोई सांस्कृतिक प्रवाह है? यदि भूगोल है तो उस भूगोल को भारत कब मिला, किसने दिया? भूगोल तो पहले भी था पर तब वह भारत क्यों नहीं था? तब उसका नाम क्या था? भारत की अखंडता का अर्थ क्या है? यदि कोई भौगोलिक मानचित्र है जिसे हम अखंड देखना चाहते हैं तो प्रश्न उठेगा कि उसकी सीमाएं क्या हैं? क्या हम ब्रिटिश भारत की अखंडता चाहते हैं या सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री हुएन सांग के समय के भारत की। जिसमें आज का अफगानिस्तान और मध्य एशिया का ताशकंद-समरकंद क्षेत्र भी सम्मिलित था? या उसके भी पहले के भारत की। जिसे पुराणों में नवद्वीपवती कहा है, जिसके श्रीलंका, बर्मा, थाईलैंड, जावा, सुमात्रा, बाली, मलेशिया, फारमूसा और फिलीपीन जैसे अनेक द्वीप अंग थे? भारत नाम की भौगोलिक सीमाओं के संकुचन और विस्तार का रहस्य क्या है? उसका आधार क्या है? भारत बना कैसे? क्या भारत एक दिन में बन गया या उसके पीछे हजारों साल की इतिहास यात्रा विद्यमान है? प्राचीन साहित्यिक स्रोत बताते हैं कि कभी इस भौगोलिक खण्ड को केवल हिमवर्ष कहते थे, फिर उसे पृथिवी अजनाम वर्ष और जम्बूद्वीप जैसे नाम मिले। मौर्य सम्राट अशोक को सकल जम्बूद्वीप का राजा कहा गया। आगे चलकर हमारे संकल्प-मंत्र में जम्बूद्वीपे भरत खंडे भारतवर्षे आर्यावर्ते कुरुक्षेत्रे... जैसे भौगोलिक नामों को गिनाया गया। आलोकित गाथा राष्ट्र की एकता और अखंडता का प्रतिबिंब है। वीभत्स, भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी। यह अंग्रेजों की साजिश थी कि देश को दो टुकड़ों में बांट दिया जाए, इसके लिए कुछ भारतीय नेता भी जिम्मेदार थे। विभाजन की को याद किया जाए तो 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लिए इतिहास का एक गहरा जख्म है। वह जख्म तो आज तक ताजा है और भरा नहीं है। यह वो तारीख है, जब 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी। वहीं दूसरी ओर देश के दो टुकड़े हो रहे थे। देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान एक अलग देश बना। बंटवारे की शर्त पर ही भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। लाखों लोग इधर से उधर हो गए, घर-बार छूटा, परिवार छूटा। लाखों की जानें गईं। यह दर्द था, विभाजन का। इस बंटवारे से बंगाल भी प्रभावित हुआ। पश्चिम बंगाल वाला हिस्सा भारत का रह गया और बाकी पूर्वी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान को भारत ने 1971 में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। दंशभरी विभाजन विभीषिका आज भी नासूर है। संचेतना अखंड और वैभवशाली राष्ट्र का संयोजन ही उपचार है। ईएमएस/13/08/2025