राज्य
15-Aug-2025
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पटना (ईएमएस) । बलात्कार के एक सनसनीखेज मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। निचली अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सज़ा को पलटते हुए, हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। यह फैसला कई सवाल खड़े करता है, खासकर तब जब एक नाबालिग के साथ हुए जघन्य अपराध और निचली अदालत के सख्त फैसले के बाद अचानक सारे सबूत कमजोर पड़ गए। यह मामला 6 फरवरी 2016 का है, जब एक नाबालिग लड़की को जन्मदिन की पार्टी के बहाने नवादा लाया गया था। आरोप है कि वहाँ उसे शराब पिलाई गई, और जब उसने मना किया तो उसके साथ ज़बरदस्ती की गई। लड़की का आरोप था कि उसके मुँह में कपड़ा ठूँस कर एक व्यक्ति ने उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में सुबह उसे घर छोड़ दिया गया। नाबालिग ने अपने बयान में यह भी कहा था कि महिला उसे दुष्कर्म करने वाले से 30,000 रुपये लेते हुए देखी थी। इस मामले में नवादा के तत्कालीन विधायक राजबल्लभ यादव पर बलात्कार का आरोप लगा, जिसके बाद निचली अदालत (एमएलए/एमपी कोर्ट) के जज परशुराम यादव ने उन्हें आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 120 बी और पॉक्सो अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी बिहार विधानसभा की सदस्यता भी समाप्त हो गई थी। -हाई कोर्ट ने क्यों किया बरी? पटना हाई कोर्ट के फैसले के पीछे कई अहम कारण बताए जा रहे हैं। कोर्ट ने माना कि: - जबरन रेप के सबूत नहीं: मेडिकल जांच में यह पाया गया कि पीड़िता यौन संबंध बनाने की आदी थी और उसके साथ जबरदस्ती संबंध बनाने के कोई साक्ष्य नहीं थे। - उम्र का विवाद: अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि पीड़िता की उम्र 18 साल से कम थी। - एफएसएल रिपोर्ट की अनदेखी: अभियोजन पक्ष ने पीड़िता के कपड़ों को फॉरेंसिक जाँच के लिए तो भेजा, लेकिन उसकी रिपोर्ट को कोर्ट में पेश नहीं किया। कोर्ट ने इन कमियों के आधार पर राजबल्लभ यादव और अन्य अपीलकर्ताओं को संदेह का लाभ दिया। यह भी साबित नहीं हो पाया कि अपराध करने वाला व्यक्ति राजबल्लभ यादव ही था।