इंदौर (ईएमएस)। मध्यप्रदेश, नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखने को तैयार है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों का परिणाम अब ज़मीनी स्तर पर दिखने लगा है, जहाँ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) में जर्मनी के साथ हुए समझौते को मूर्त रूप दिया जा रहा है। इसी कड़ी में, जर्मनी का एक उच्च-स्तरीय व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अनुसंधान एवं विकास (R&D) के अवसरों को तलाशने इंदौर पहुंचा है। सोमवार को इंदौर के इन्फोबीन्स कैंपस में पाँच दिवसीय एमपी-ग्लोबल इनोवेशन एवं अनुसंधान और विकास एक्सचेंज प्रोग्राम-2025 का शुभारंभ हुआ। यह कार्यक्रम मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPIDC) और जर्मन-इंडिया इनोवेशन कोर (GIIC) के बीच हुए समझौते का हिस्सा है। इस समझौते का मुख्य लक्ष्य जर्मन निवेशकों को मध्यप्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित करना और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है। प्रतिनिधिमंडल में वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध कंपनियों के प्रमुख शामिल हैं, जो AI, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखते हैं। इनमें टाइलर्स से स्टीवन रैनविक, टैलोनिक से निकोलस, स्टेक्स से एलेक्ज़ेंड्रा के मिकीटयूक, क्यू-नेक्ट-एजी से मटियास प्रोग्चा और क्लाउड-स्क्विड से फिलिप रेजमूश जैसे नाम शामिल हैं। कार्यक्रम के पहले दिन, प्रतिनिधियों ने विभिन्न कॉर्पोरेट इंटरैक्शन सत्रों में भाग लिया। भारत से वैश्विक स्तर के डिजिटल उत्पाद बनाना और भारतीय नवाचार परिदृश्य जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। जर्मन प्रतिनिधियों ने भारतीय यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स, जैसे जोहो, फ्रेशवर्क्स और ब्राउज़रस्टैक, की सफलता की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से मध्यप्रदेश में AI विकास, तकनीकी साझेदारी और संभावित अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने में गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने भारतीय कंपनियों में प्रतिभा अधिग्रहण और मानव संसाधन (HR) मॉडल के बारे में भी जानकारी ली। यह दौरा मध्यप्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य में विदेशी निवेश लाने के साथ-साथ युवाओं के लिए रोजगार और नवाचार के नए द्वार भी खोलेगा। प्रकाश/18 अगस्त 2025