राष्ट्रीय
24-Aug-2025


स्टडी से हुआ खुलासा, ज्यादातर जेनरेटिव एआई सिस्टम्स फीडबैक को सहेज नहीं पाते नई दिल्ली,(ईएमएस)। पिछले तीन सालों में दुनियाभर की कंपनियों ने जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्रोजेक्ट्स में 30 से 40 अरब डॉलर का निवेश किया है, लेकिन मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) की एक नई स्टडी के मुताबिक इनमें से 95 फीसदी कंपनियों को एआई अपनाने से कोई फायदा नहीं हुआ। एक रिपोर्ट में इस स्टडी के हवाले से बताया गया है कि ज्यादातर कंपनियों की कमाई या मुनाफे पर एआई का कोई असर नहीं पड़ा। दुनियाभर में कंपनियों ने चेटजीपीटी, कोपिलोट एआई और दूसरे बड़े लैंग्वेज मॉडल्स को आजमाने में तेजी दिखाई। सर्वे के मुताबिक 80 फीसदी से ज्यादा बड़ी कंपनियों ने इन टूल्स को टेस्ट किया या छोटे स्तर पर इस्तेमाल किया। करीब 40 फीसदी कंपनियों ने इन्हें किसी न किसी रूप में लागू किया, लेकिन स्टडी में सामने आया कि ज्यादातर मामलों में ये टूल्स सिर्फ कर्मचारियों का काम तेज करने में मदद कर रहे हैं, न कि कंपनी के मुनाफे को बढ़ाने में। एमआईटी की स्टडी में बताया गया कि जेनरेटिव एआई टूल्स का सबसे बड़ी परेशानी यह है कि ये असल कामकाजी प्रक्रियाओं में अच्छे से फिट नहीं हो पा रहे हैं। इन टूल्स में काम के ढांचे कमजोर हैं, ये संदर्भ के हिसाब से सीख नहीं पाते और रोजमर्रा के कामों के साथ तालमेल नहीं बना पाते यानी ये टूल्स इंसानों की तरह न तो पुराने फीडबैक को याद रख पाते हैं और न ही समय के साथ अपनी समझ को बेहतर कर पाते। उदाहरण के लिए अगर किसी कर्मचारी को नई जानकारी या गलतियों से सीखने का मौका मिलता है, तो वह अपने काम को बेहतर कर सकता है लेकिन जेनरेटिव एआई मॉडल्स ऐसा नहीं कर पाते। इन्हें हर बार नए सिरे से ट्रेनिंग की जरूरत होती है। अगर ये किसी नए काम या स्थिति में ढलने की कोशिश करते हैं, तो इनका प्रदर्शन कमजोर हो जाता है। स्टडी के मुताबिक ज्यादातर जेनरेटिव एआई सिस्टम्स फीडबैक को सहेज नहीं पाते, न ही संदर्भ के हिसाब से ढल पाते हैं और न ही समय के साथ बेहतर होते हैं। इस वजह से लंबे समय तक इन्हें कंपनी में लागू करना महंगा और बेअसर साबित हो रहा है। स्टडी में कहा गया कि फिलहाल एआई से बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने की आशंका नहीं है। इसके बजाय ये टूल्स कंपनियों के बाहरी खर्चों, जैसे आउटसोर्सिंग को कम करने में ज्यादा असर दिखा सकते हैं। स्टडी में लिखा है, जब तक एआई सिस्टम्स के हिसाब से ढलना और खुद से काम करना नहीं सीख लेते, तब तक इनका असर कंपनियों के अंदरूनी ढांचे को बदलने की बजाय बाहरी खर्चों को कम करने में ज्यादा दिखेगा। कई कंपनियां एआई को कस्टमर सर्विस, मार्केटिंग या डॉक्यूमेंट्स बनाने जैसे कामों में इस्तेमाल कर रही हैं। ये टूल्स कर्मचारियों का समय तो बचा रहे हैं, लेकिन कंपनी की कमाई पर इनका कोई सीधा असर नहीं पड़ रहा है। सिराज/ईएमएस 24अगस्त25 ------------------------------------