अंतर्राष्ट्रीय
01-Sep-2025
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लंदन (ईएमएस)। मामला स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग का है। यहां 64 वर्षीय मॉरीन हाउईसन नाम की डेंटल नर्स ने अपने सहकर्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। हाउईसन पिछले 40 साल से दंत चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रही थीं। हाउईसन ने बताया कि नई नियुक्त डेंटल थैरेपिस्ट जिसना इकबाल के आने के बाद से माहौल तनावपूर्ण हो गया। इकबाल मूल रूप से भारत से हैं और डेंटिस्ट की पढ़ाई की हुई है। लेकिन यूके में प्रैक्टिस की अनुमति नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने नर्स की पुरानी रिसेप्शन ड्यूटी अपने हाथ में ले ली। हाउईसन का आरोप था कि इकबाल अक्सर उन्हें रूड और डिसरिस्पेक्टफुल तरीके से ट्रीट करती थीं। जब भी वह कुछ बोलतीं, इकबाल आंखें घुमा देतीं और उन्हें नजरअंदाज करतीं। एडिनबर्ग एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने इस केस की सुनवाई करते हुए माना कि हाउईसन सच बोल रही हैं और उनके साथ लगातार रूड, आइसोलेटिंग, बुलींग और बिलिटलिंग व्यवहार किया गया। कोर्ट ने कहा कि आंखें घुमाना भी कार्यस्थल पर बुलींग की श्रेणी में आ सकता है और इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से पड़ता है। इसी आधार पर ट्रिब्यूनल ने हाउईसन को 25,254 पाउंड यानी लगभग 30 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश सुनाया। स्थिति सितंबर 2024 में और बिगड़ गई। एक दिन हाउईसन काम के दौरान रो पड़ीं और सहकर्मियों से कहा कि उन्हें क्लीनर तक बना दिया गया है। अगले ही दिन जब उनकी शिफ्ट शुरू हुई, तो इकबाल ने रिसेप्शन छोड़ने से ही इनकार कर दिया। हाउईसन का कहना है कि क्लिनिक मालिक डॉ। फैरी जॉनसन विथायथिल की पत्नी (जो बिज़नेस मैनेजर हैं) ने दखल देने का आश्वासन दिया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बढ़ते तनाव के चलते हाउईसन को पैनिक अटैक तक आ गया। वीरेंद्र/ईएमएस 01 सितंबर 2025