नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल का दौरा बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी आ सकता है। फिनलैंड और यूके के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए ताजा अध्ययन में यह दावा किया गया है। इसे हार्ट डिजीज से जुड़े इलाज व रोकथाम की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अभी तक माना जाता था कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज की शुरुआत केवल ऑक्सीडाइज्ड एलडीएल कोलेस्ट्रॉल से होती है। शरीर इसे बाहरी तत्व समझकर उस पर प्रतिक्रिया करता है और धीरे-धीरे धमनी में ब्लॉकेज बनने लगता है। लेकिन लंबे समय से वैज्ञानिकों को शक था कि इसमें बैक्टीरिया की भी भूमिका हो सकती है। इस नए अध्ययन में पाया गया कि धमनी में बनने वाली एथेरोस्क्लेरोटिक प्लेक (यानी कोलेस्ट्रॉल से बनी परत) में बैक्टीरिया की बायोफिल्म मौजूद होती है। यह बायोफिल्म एक जिलेटिन जैसी परत होती है, जिसमें बैक्टीरिया छिपकर लंबे समय तक निष्क्रिय अवस्था में रह सकते हैं। इस दौरान वे शरीर की इम्यून सिस्टम और दवाओं से सुरक्षित रहते हैं क्योंकि एंटीबायोटिक्स और इम्यून सेल इस परत के अंदर आसानी से नहीं पहुंच पाते। शोधकर्ताओं ने बताया कि जब शरीर में कोई वायरल इंफेक्शन होता है या कोई बाहरी ट्रिगर मिलता है, तो यह निष्क्रिय बैक्टीरिया अचानक सक्रिय हो जाते हैं। उनकी तेजी से वृद्धि के कारण धमनी में सूजन हो जाती है। सूजन के चलते प्लेक की परत कमजोर पड़ जाती है और फट जाती है। जब यह परत टूटती है, तो खून का थक्का (थ्रोम्बस) बनता है, जो दिल का दौरा ला सकता है। इस अध्ययन का नेतृत्व फिनलैंड के टैम्पीयर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पेक्का करहुनेन ने किया। उनका कहना है कि दशकों से संदेह था कि हार्ट अटैक और बैक्टीरिया के बीच कोई संबंध हो सकता है, लेकिन ठोस सबूत नहीं थे। अब यह शोध इस कड़ी को और मजबूत करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज भविष्य में हार्ट डिजीज की टेस्टिंग और इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। अगर बैक्टीरिया की भूमिका साबित होती है, तो हार्ट अटैक रोकने के लिए वैक्सीन या नई दवाएं विकसित की जा सकती हैं। सुदामा/ईएमएस 04 सितंबर 2025