नई दिल्ली(ईएमएस)।अमेरिका द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगाए गए टैरिफ की वजह से उत्पन्न हुई आर्थिक अस्थिरता के चिंताजनक माहौल के बीच नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर और जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल के बीच एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक हुई। जिसमें दोनों देशों के आपसी सहयोग, रक्षा-सुरक्षा साझेदारी के साथ ही क्षेत्रीय, वैश्विक और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक के बाद आयोजित की गई संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में जर्मनी के विदेश मंत्री वाडेफुल ने टैरिफ को लेकर अमेरिका की ओर इशारों-इशारों में कहा कि अगर कुछ देश व्यापार में रुकावटें डालते हैं। तो उन्हें कम करके हमें जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) हो सकता है। दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को भी और अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता है। भारत-जर्मनी के बीच मौजूदा 50 बिलियन यूरो के व्यापार को दोगुना किया जाना चाहिए। जर्मनी इसके लिए अपनी पूरी ताकत झोंकेगा। जबकि भारत ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्धता जताई। ज्ञात हो कि जर्मनी के विदेश मंत्री ने बीते मंगलवार को बेंगलुरु से अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा की शुरुआत की थी। वाडेफुल ने यूक्रेन संघर्ष को लेकर कहा कि यूरोप के लोग अपने अमेरिकी, यूक्रेन के मित्रों के साथ मिलकर जल्द शांति बहाली के प्रयासों में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात हुई है। जिसमें उन्होंने भी यूक्रेन में शांति समझौते की आवश्यकता पर बल दिया था। जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा कि मुझे पता है कि हम हमेशा ही अपने भारतीय मित्रों के साथ शत-प्रतिशत सहमत नहीं होते हैं। इसके मद्देनजर आज मैंने भारतीय विदेश मंत्री डॉ.जयशंकर से इस मुद्दे के पक्ष में बातचीत की और कहा कि भारत रूस से अपने संबंधों का प्रयोग यूरोप में शांति बहाली के लिए करे। सुरक्षा, स्वतंत्रता और समृद्धि का आधार ही शांति है। वाडेफुल ने कहा, शुरुआत से ही हमारी नीति यही रही है कि रूस, यूक्रेन को वार्ता की मेज पर ले आएं। लेकिन अभी तक रूस के राष्ट्रपति बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं। इस संदर्भ में हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति ने कई प्रयास किए हैं, लेकिन ये रूस ही है, जो बात करने के लिए तैयार नहीं है। हमारी मांग केवल इतनी है कि हथियार खामोश हो जाएं। जर्मनी के विदेश मंत्री ने अपनी युवा अवस्था और कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा कि उस वक्त के भारत के इतिहास को देखें तो यह एक गुटनिरपेक्ष देश के रूप में चर्चित था। भारत, जर्मनी से अलग देश रहा है। शीत युद्ध में हमारा तत्कालीन सोवियत संघ (यूएसएसआर) से टकराव था। आज एक बार फिर हम और रूस आमने-सामने हैं। हम चाहते हैं कि उसकी पराजय हो। लेकिन वर्तमान में यूरोप के रूस से टकराव के पीछे की वजह यूक्रेन में युद्ध के दौरान हो रहा वैश्विक कानूनों का उल्लंघन है। हम एक बार फिर से खुद को पुरानी स्थिति में ही पाते हैं। जबकि भारत खुद को एक अलग स्थिति में पाता है। आतंकवाद के खिलाफ मिला जर्मनी का साथ: जयशंकर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि आज की हमारी वार्ता में संबंधों के कई पक्षों पर विस्तार से चर्चा हुई। जिसमें राजनीतिक सहयोग, सुरक्षा-रक्षा सहयोग, आर्थिक संबंध, शोध-भावी तकनीक, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा-कौशल, गतिशीलता और लोगों के बीच संबंध जैसे मामले शामिल किए गए। यूक्रेन विवाद, पश्चिम-मध्य एशिया और हिंद-प्रशांत में जारी संघर्ष से जुड़े क्षेत्रीय, वैश्विक मामलों की भी समीक्षा की गई। आतंकवाद के मामले पर जर्मनी द्वारा प्रदर्शित की गई समझ का भारत स्वागत करता है। जर्मनी के मंत्री वाडेफुल ने भी आतंकी हमलों के खिलाफ हमारे लोगों की सुरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि मैंने जर्मनी के विदेश मंत्री से बातचीत में बेबी अरिहा शाह के मुद्दे को उठाया। जो बीते काफी वक्त से जर्मनी में फॉस्टर केयर में है। मैंने वाडेफुल से कहा कि अरिहा के सांस्कृतिक अधिकार सुरक्षित रहने चाहिए और उसे भारतीय परिवेश में बड़ा होना चाहिए। इस मामले को बिना किसी देरी के हल किया जाना चाहिए। वीरेंद्र/ईएमएस/04सितंबर2025 -----------------------------------