लेख
04-Sep-2025
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जीएसटी परिषद के हालिया फैसले ने आम जनता को बड़ी राहत दी है, यह प्रचारित हो रहा है। अब तक अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरें 5 प्रतिशत से लेकर 28 प्रतिशत तक फैली हुई थीं, जिससे उपभोक्ता और व्यापारी दोनों ही भ्रमित रहते थे। परिषद ने टैक्स ढांचे को सरल बनाने का दावा करते हुए केवल दो स्लैब 05 और 18 प्रतिशत रखने का निर्णय लिया है। कुछ उत्पाद 40 फीसदी जिसमें शराब, लग्जरी सामान और तंबाकू के उत्पाद शामिल कर तीसरी श्रेणी बनाई जा रही है। सरकार दावा कर रही है कि इस बदलाव से 48000 करोड़ सालाना का नुकसान होगा जो प्रतिमाह लगभग 4000 करोड़ रुपया बैठता है। इसी के साथ ही सरकार दावा कर रही है, कि इस कदम से कर प्रणाली को पारदर्शी बनाया जायेगा। गरीब और मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी। सरकार का दावा है इससे बड़ा फायदा रोजमर्रा की वस्तुओं और खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी दर में कमी के कारण सामने आएगा। आवश्यक वस्तुएं सस्ती होंगी, सीधे तौर पर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का मासिक बजट संतुलित होगा। अगले 4 महीने त्योहारों के मौसम के हैं। जीएसटी में राहत उपभोक्ताओं के उत्साह को बढ़ाएगी। बाजार में रौनक आएगी। बाजार में मांग और आपूर्ति को मजबूती मिलेगी। सरकार ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा सेवाओं पर जीएसटी खत्म करने का निर्णय लिया है, जो अत्यंत सराहनीय कदम है। मध्यम वर्ग लंबे समय से इस बोझ से परेशान था। अब बीमा प्रीमियम सस्ते होंगे, अधिक लोग स्वास्थ्य और जीवन बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ेगा और देश में वित्तीय सुरक्षा मजबूत होगी। उद्योग जगत की दृष्टि से देखें, तो कम स्लैब का अर्थ है, आसान टैक्स के अनुपालन से व्यापारी और छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी। जटिल दरों और तकनीकी खामियों के कारण वह परेशान होते थे। दो स्लैब की व्यवस्था से कर चोरी घटेगी, सरकार को राजस्व संग्रहण अधिक पारदर्शी तरीके से मिलेगा। हालांकि जीएसटी की चुनौतियां नए रूप मे सामने आएंगी। उच्च कर स्लैब में आने वाली वस्तुओं पर कर बोझ बढ़ने से जो राहत बताई जा रही है, वह एक जेब से पैसा निकाल कर दूसरे जेब में डालने जैसी संभावना के रूप में देखा जा रहा है। विलासिता से संबंधित उत्पाद एवं सेवाओं को 28 प्रतिशत के स्थान पर 40 फ़ीसदी जीएसटी देनी होगी। इस प्रकार उपभोक्ताओं को जो राहत दी गई है उसे विलासिता के नाम पर सरकार वापस ले लेगी। इसमें सरकार को वाहवाही भी मिलेगी। इस श्रेणी के लोग अपेक्षाकृत सक्षम होते हैं। समाज के कमजोर वर्गों की राहत का यह बोझ मध्यम वर्ग पर डाला जाएगा। सरकार ने जो अनुमान लगाया है कि उसे 4000 करोड़ मासिक का नुकसान होगा, जीएसटी के रूप में सरकार 180000 करोड़ से लेकर 190000 करोड़ तक हर माह वसूल कर रही है। इससे स्पष्ट है, कि जीएसटी से आम आदमी को कोई विशेष राहत मिलने वाली नहीं है। अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव की बात करें, तो इस कदम से कुछ उत्पादों की मांग बाजार में बढ़ेगी, उत्पादन में वृद्धि होगी। रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। सरल टैक्स प्रणाली विदेशी निवेशकों को भारत में आने के लिए भी आकर्षित करेंगे। कुल मिलाकर, जीएसटी में दो स्लैब का फैसला एक दूरगामी सुधार का रास्ता तैयार कर रहा है। इस तरह की सोच से गरीब और मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी, वहीं टैक्स प्रणाली को सरल और प्रभावी बनाने में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है। यह कदम सबका साथ, सबका विकास की दिशा में सरकार का यह ठोस प्रयास करने का दावा सरकार द्वारा किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि इस परिवर्तन से भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों मे ले जाने में मदद मिलेगी। सरकार जीएसटी की दरों में कमी करने का जो दावा कर रही है। महंगाई कम होने की बात कर रही है। इसमें आम उपभोक्ता को राहत मिलेगी, ऐसा लगता नहीं है। सरकार जिस नुक्सान की बात कर रही, यह उतार चढ़ाव अभी भी होता है। सही बात यह है, जीएसटी से सरकार का राजस्व निरंतर बढ़ रहा है। सरकार ने दो स्लैब खत्म किए हैं, किंतु जीएसटी में विलासता के नाम पर 40 फ़ीसदी टेक्स के दायरे में जिन वस्तुओं को शामिल किया जा रहा है उससे मध्यम वर्ग को कोई राहत मिलेगी, ऐसा होता दिख नहीं रहा है। सरकार के इस प्रयास को मार्केटिंग के रूप में जरूर देखा जा सकता है। जिसमें गरीबों और मध्यम वर्ग को सरकार यह संदेश देने में सफल रही है, जीएसटी में सरकार उसे बहुत फायदा पहुंचाने जा रही है। इस बदलाव से निश्चित रूप से सरकार की छवि बेहतर बनेगी। उपभोक्ताओं को क्या लाभ होगा, इसका पता तो कुछ समय के बाद ही चलेगा। ईएमएस / 05 सितम्बर 25