राष्ट्रीय
05-Sep-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभय एस. ओका ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई के भांजे राज वाकोडे की बॉम्बे हाईकोर्ट में नियुक्ति को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मुख्य न्यायाधीश को संबंधित कॉलेजियम से खुद को अलग कर लेना चाहिए था। जस्टिस ओका ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम कॉलेजियम में चर्चा के लिए आता है और उसका कोई रिश्तेदार उसी कॉलेजियम में शामिल है, तो स्वाभाविक रूप से उस सदस्य को अलग हो जाना चाहिए। खासकर जब उम्मीदवार चीफ जस्टिस का ही परिजन हो। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सवाल यह नहीं है कि उम्मीदवार योग्य है या नहीं, बल्कि न्यायपालिका की मर्यादा और निष्पक्षता की छवि बनाए रखना अहम है। ओका के अनुसार, सीजेआई को कॉलेजियम का विस्तार कर किसी अन्य वरिष्ठ जज को शामिल करना चाहिए था और उसी के समक्ष प्रस्ताव रखा जाना चाहिए था। मर्यादा की परिभाषा हर किसी के लिए अलग पू्र्व जस्टिस ओका ने कहा कि यह मामला न्यायिक मर्यादा से जुड़ा है और इसकी परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि वह खुद ऐसी स्थिति में होते तो इससे बचते। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने पिता के आरएसएस से जुड़े होने पर कहा, मेरे पिताजी 2017 तक जीवित रहे, जबकि मैं 2003 में ही जज बना था। मैंने उन्हें कभी आरएसएस की शाखा में जाते नहीं देखा। वह कुछ ऐसे ट्रस्ट से जुड़े हो सकते थे, जिनसे आरएसएस के लोग भी जुड़े हों, लेकिन यह कहना गलत है कि वह आरएसएस के सदस्य थे। उन्होंने कहा कि जज बनने के बाद संविधान की शपथ ही मार्गदर्शक होती है और हर फैसला केवल कानून और संविधान के आदर्शों पर आधारित होता है। हिदायत/ईएमएस 05सितंबर25