राष्ट्रीय
07-Sep-2025
...


नई दिल्ली(ईएमएस)। सीमा पर बनी हुई सुरक्षा चुनौती के बीच सेनाप्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने तीनों सशस्त्र सेनाओं की संयुक्त रूप से गठित की जाने वाली थिएटर कमांड के गठन को लेकर कहा कि यह कार्य आज नहीं तो कल होगा। हमें बस ये देखना है कि इसमें कितना समय लगता है। पूरी प्रक्रिया के लिए हालांकि कुछ कदम उठाने पड़ेंगे। जिसमें संयुक्तता और एकीकरण मुख्य रूप से शामिल हैं। साथ ही कई और चीजें हैं, जिन पर चर्चा किए जाने की आवश्यकता है। यह जानकारी सेनाप्रमुख ने राजधानी में आयोजित ऑपरेशन सिंदूर पर लिखी गई एक पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बातचीत में दी है। जिसका शीर्षक ‘ऑपरेशन सिंदूर: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज डीप स्ट्राइक्स इनसाइड पाकिस्तान’है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि थिएटर कमांड या फिर सेना, वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं का संयुक्त रूप से एकीकरण जरूरी आकार लेगा। लेकिन प्रश्न यह है कि इसे हकीकत में पूरा होने में कितना समय लगता है? अगर किसी एक को विभिन्न एजेंसियों का संचालन करना है। तो निश्चित रूप से जवाब थिएटर कमांड ही होगा। यहां बता दें कि सेनाप्रमुख का थिएटर कमांड को लेकर यह बयान वायुसेनाप्रमुख और नौसेनाप्रमुख द्वारा बीते करीब दो सप्ताह पहले इस मामले पर अपने विचार रखने के बाद दिया गया है। जनरल द्विवेदी ने थिएटर कमांड का महत्व बताते हुए कहा कि जब हम कोई लड़ाई लड़ते हैं। तो केवल सेना ही उस लड़ाई को नहीं लड़ती है। हमारी बीएसएफ, आईटीबीपी भी उसमें भाग लेती हैं। उसके साथ ही तीनों सशस्त्र सेनाओं, रक्षा साइबर एजेंसियों, रक्षा स्पेस एजेंसियों की भी भागीदारी रहती है। अब हम ज्ञान संबंधी युद्ध कौशल से जुड़ी एजेंसियों की बात कर रहे हैं। जिसमें इसरो, सिविल डिफेंस, नागर विमानन, रेलवे, एनसीसी और राज्य- केंद्रीय प्रशासन शामिल हैं। ऐसे में अगर किसी एक को सभी एजेंसियों को संचालित करना हो तो निश्चित रूप से उसका जवाब थिएटर कमांड ही होगा। क्योंकि कमांड की एकता सबसे महत्वपूर्ण है। आपको एक कमांडर की जरूरत है, जो किसी भी गतिविधि के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभाल सके। थिएटर कमांड का गठन बेहद आवश्यक है। वीरेंद्र/ईएमएस/07सितंबर2025