कोरबा (ईएमएस) कोरबा-पश्चिम कुसमुंडा क्षेत्र में संचालित डीएवी स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया गया हैं। यहां नर्सरी कक्षा के छात्रों की पढ़ाई पिछले तीन महीने से ठप्प बताई जा रही है। आरोप हैं की डीएवी स्कूल प्रबंधन कुसमुंडा ने अभिभावकों से पूरे साल की फीस पहले ही जमा करा ली है, लेकिन छात्रों को पढ़ाई कराने की बुनियादी जिम्मेदारी निभाने में प्रबंधन पूरी तरह नाकाम रहा है। अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए हर साल की तरह समय पर एडवांस फीस जमा कर चुके हैं। लेकिन इस बार फीस वसूली के बावजूद बच्चों की कक्षाएं शुरू नहीं की गईं। तीन महीने से बच्चे घर पर बैठे हैं, जिससे उनका शैक्षिक आधार कमजोर हो रहा है। आखिर छोटे बच्चों के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ क्यों ?” इस पूरे मामले पर विद्यालय के प्रधानाचार्य ने सफाई देते हुए कहा कि एसईसीएल की ओर से नई बिल्डिंग का निर्माण कराया जा रहा है, जिसे हैंडओवर करने में देरी हो रही है। इसी कारण छात्रों को विद्यालय नहीं बुलाया जा रहा। उनका कहना है कि “कोशिश है कि 15 सितंबर से नर्सरी की कक्षाएं शुरू कर दी जाएं और समय रहते पूरा सिलेबस छात्रों को पढ़ा दिया जाए।” इस पुरे मामले में शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह तर्क किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है। उनके अनुसार तीन महीने की पढ़ाई बंद रहने से बच्चों के मानसिक और शैक्षिक विकास पर असर पड़ा है। अब यदि कम समय में पूरा सिलेबस पूरा करने की कोशिश की जाएगी तो मासूम बच्चों पर अनावश्यक दबाव बढ़ेगा। इस उम्र में शिक्षा को सहज और आनंदमय बनाने की जरूरत होती है, न कि इसे बोझ बना देने की। अभिभावकों ने आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है कि जब प्रबंधन को पहले से बिल्डिंग तैयार न होने की जानकारी थी तो पूरे साल की एडवांस फीस क्यों जमा कराई गई ? उनका आरोप है कि स्कूल प्रशासन बच्चों की पढ़ाई की चिंता करने के बजाय केवल फीस वसूली पर फोकस कर रहा है। “अगर क्लास ही नहीं चल रही थी तो हमें एडवांस फीस लौटाई जानी चाहिए थी। यह सीधे-सीधे धोखाधड़ी है,” इस पूरे मामले ने शिक्षा व्यवस्था और विद्यालय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभिभावकों ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग की है कि इस लापरवाही पर संज्ञान लिया जाए। साथ ही फीस वसूली और पढ़ाई बंद करने की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की जाए। यक्ष प्रश्न यह है कि क्या प्रबंधन अब भी केवल फीस वसूली पर ध्यान देगा या मासूम बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए तत्काल ठोस कदम उठाएगा ? 08 सितंबर / मित्तल