राष्ट्रीय
09-Sep-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। उपराष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी के बीच बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। अब तक विधायी कार्यों में संसद के अंदर भाजपा को समर्थन करने वाली ओडिशा की बीजू जनता दल और तेलंगाना की भारतीय राष्ट्र समिति ने ऐलान किया है कि वे न तो भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ जाएँगी और न ही विपक्षी गठबंधन को समर्थन देंगी। दोनों दलों ने स्पष्ट कहा कि वे चुनाव से दूरी बनाते हुए मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे। इस पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कटाक्ष किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि भाजपा के नेतृत्व में चल रहा गठबंधन धीरे-धीरे कमज़ोर और बिखरा हुआ हो रहा है, और जो दल कभी एनडीए की ताक़त गिनाए जाते थे, वे अब खुद को अलग कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यह भाजपा की अत्यधिक दबाव वाली राजनीति और अहंकारपूर्ण रवैये का नतीजा है। ये बात अलग है कि दोनों ही दल कभी औपचारिक रूप से भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा नहीं रहे। उधर, विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने सभी दलों के सांसदों से अपील करते हुए कहा है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में सभी संबंधित दलों के हितों को देखते हुए नहीं बल्कि राष्ट्रहित में वोट करें। बीजेडी प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा समान दूरी की नीति पर चलती है। वहीं, बीआरएस ने भी यही रुख अपनाते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्रीय गठबंधन से फिलहाल उनका लेना-देना नहीं है। दोनों दलों के इस फैसले के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेडी और बीआरएस का यह कदम आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले क्षेत्रीय दलों की रणनीति को दर्शाता है। दोनों दल यह संकेत देना चाहते हैं कि वे अपनी-अपनी जमीन पर स्वतंत्र राजनीतिक विकल्प बनाए रखना चाहते हैं। ये बात भी उतना ही सच है कि जरूरत पड़ने पर दोनों दलों ने भाजपा का रणनीतिक साथ समय समय पर दिया है। वीरेंद्र/ईएमएस/09सितंबर2025