-संविधान पीठ राज्यपाल और राष्ट्रपति से संबंधित मामले की कर रही थी सुनवाई नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रपति के संदर्भ से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान पड़ोसी देशों की राजनीतिक उथल-पुथल का हवाला देते हुए कहा कि भारत का संविधान स्थिरता और लोकतंत्र की बुनियाद है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ यह सुनवाई कर रही थी कि क्या अदालतें राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधानसभाओं से पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए समय सीमा तय कर सकती हैं। मामले की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने कहा, कि हमें अपने संविधान पर गर्व होना चाहिए। देखिए पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। पीठ ने नेपाल में हाल ही में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों का उल्लेख किया, जिनकी वजह से प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। साथ ही, अदालत ने बांग्लादेश में पिछले साल हुए छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन का भी जिक्र किया, जिसने शेख हसीना की सरकार को गिरा दिया था। आपातकाल का हुआ जिक्र सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 1975 में लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए कहा, जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो जनता ने ऐसा सबक सिखाया कि न केवल पार्टी हार गई, बल्कि वह खुद भी चुनाव हार गईं। बाद में जब दूसरी सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, तो जनता ने फिर उसी पार्टी को भारी बहुमत से वापस लाया। यही संविधान की ताकत है। इस पर सीजेआई गवई ने सहमति जताते हुए कहा, हां, भारी बहुमत के साथ... यही हमारे संविधान की शक्ति है। हिदायत/ईएमएस 10सितंबर25