काठमांडू (ईएमएस)। नेपाल में हाल ही में हुए जनरेशन आंदोलन से देश की अर्थव्यवस्था और जनजीवन पर गहरा असर पड़ा है। इस आंदोलन के कारण देश में राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा और अराजकता का माहौल बन गया है, जिससे कई उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का एक बड़ा योगदान है, जो देश की जीडीपी का लगभग 7 प्रतिशत हिस्सा है। आंदोलन के बाद से इस उद्योग को भारी झटका लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल में होटल बुकिंग में 50 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। पर्यटकों की संख्या में अचानक आई इस कमी से होटल मालिक और प्रबंधक बेहद चिंतित हैं। राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के डर से पर्यटकों ने नेपाल की यात्रा रद्द कर दी है, जिससे पर्यटन से जुड़े व्यवसायों को बड़ा नुकसान हो रहा है। आंदोलन के चलते नेपाल की सीमाएं बंद हो गई हैं, जिससे जरूरी सामान की आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो गई है। इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ रहा है। चावल, दाल और खाना पकाने वाले तेल जैसे आवश्यक सामानों की सप्लाई रुक गई है। स्टॉक कम होने के कारण इन चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिससे लोग बहुत परेशान हैं। फर्नीचर और फर्निशिंग जैसे व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सप्लाई चेन टूटने से कारोबारियों के पास नया स्टॉक नहीं है। कई व्यापारी अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब केपी शर्मा ओली की सरकार ने सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे युवा भड़क गए। इसके बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। प्रदर्शनों के दौरान पुलिस और युवाओं के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने नेताओं और मंत्रियों के घरों के साथ-साथ संसद भवन को भी आग लगा दी। हिंसा के बाद केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई। फिलहाल देश में सेना व्यवस्था संभाल रही है और अंतरिम सरकार बनाने की कोशिशें चल रही हैं। बीरगंज जैसे शहरों में हिंसा के निशान साफ दिख रहे हैं, जहां प्रदर्शनकारियों ने महानगरपालिका के कार्यालय को पूरी तरह से जला दिया। फिलहाल मलबे को साफ करने का काम चल रहा है। आशीष/ईएमएस 13 सितंबर 2025