नई दिल्ली,(ईएमएस)। पश्चिम-एशिया में इजरायल और हमास के बीच लंबे वक्त से जारी भीषण संघर्ष के दौर में भारत, फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के पक्ष में खड़ा हो गया है। साथ ही उसने मामले पर विश्व के सबसे बड़े निकाय संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भी इस संबंध में बीते शुक्रवार देर रात आए एक प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया है। जिसे जानकार वर्तमान में गाजा को लेकर बने हुए भारत के रुख से इतर उसका एक बड़ा कदम बता रहे हैं। पूर्व में करीब तीन वर्षों से भारत ने यूएन में मामले पर लाए गए प्रस्तावों पर मतदान से दूरी बनाता हुआ नजर आ रहा था। लेकिन दशकों से वह द्विराष्ट्र सिद्धांत के जरिए इस समस्या का समाधान निकालने का समर्थन करता रहा है। जिसमें यह स्पष्ट है कि इजरायल के साथ फिलिस्तीन को भी एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी जाएगी। महासभा में फ्रांस और सऊदी अरब द्वारा यह प्रस्ताव लाया गया था। जिसे भारत समेत दुनिया के कुल 142 देशों ने अपना समर्थन प्रदान किया। अमेरिका, इजरायल, अर्जेंटीना के साथ ही 10 देशों ने इसके विरोध में मतदान किया। जबकि दर्जनभर देशों ने मतदान से दूरी बनाई। इजरायल ने न्यूयॉर्क घोषणापत्र को अस्वीकार करते हुए महासभा की प्रासंगिकता पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। यहां बता दें कि बतौर स्वतंत्र देश के रूप में फिलिस्तीन को समर्थन देने वाले 142 देशों में खाड़ी के सभी अरब देश शामिल हैं। मतदान प्रक्रिया के तुरंत बाद महासभा ने प्रस्ताव को न्यूयॉर्क घोषणापत्र के रूप में स्वीकार किया। इसी साल जुलाई महीने में यूएन में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में घोषणापत्र को फ्रांस और सऊदी अरब की सह-अध्यक्षता में वितरित किया गया था। जिसका उद्देश्य मामले के समाधान के लिए फिर से संवाद प्रक्रिया के सिलसिले की शुरुआत करना था। जिससे दशकों से लंबित पड़ा यह विवाद आखिरकार हल किया जा सके और इलाके में शांति स्थापित की जा सके। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि इस प्रस्ताव को महासभा के 142 देशों के समर्थन के जरिए फिलिस्तीन समस्या के निदान को लेकर हमने दो राष्ट्र सिद्धांत के पक्ष में अपना संकल्प जताया है। हम सभी देश एकजुटता से मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए एक पृथक मार्ग का निर्माण कर रहे हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/14सितंबर2025