नई दिल्ली (ईएमएस)। अमेरिका और भारत में बंदूक खरीदने के नियम बहुत अलग हैं, इसका मुख्य कारण दोनों देशों के इतिहास, कानून और संस्कृति में अंतर है। जहां अमेरिका में बंदूक खरीदना आसान हैं क्योंकि अमेरिका के संविधान का दूसरा संशोधन नागरिकों को हथियार रखने और ले जाने का अधिकार देता है। यह अधिकार बंदूक नियंत्रण कानूनों पर होने वाली सभी बहसों का केंद्र है। अमेरिका में कई राज्यों में, बंदूक खरीदने की प्रक्रिया बहुत तेज होती है। कुछ जगहों पर, आप एक घंटे से भी कम समय में बंदूक खरीद सकते हैं। संघीय कानून के तहत, खरीदारों की पृष्ठभूमि की जांच होती है, लेकिन यह जांच तुरंत पूरी हो जाती है। अमेरिकी संस्कृति में बंदूकें गहरी जड़ें जमा चुकी हैं। अमेरिकी समाज में आत्मरक्षा, शिकार और खेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। कई लोग बंदूक रखने को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रतीक मानते हैं। नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) जैसे शक्तिशाली बंदूक समर्थक समूह सक्रिय रूप से बंदूक नियंत्रण कानूनों का विरोध करते हैं। इनका राजनीतिक प्रभाव बहुत ज़्यादा है, जिससे सख्त कानून बनाना मुश्किल हो जाता है। कई बार स्कूलों गोलीबार में मासूम बच्चों की जान जाने के बाद भी अमेरिका बंदूक को लेकर कड़े कानून बनने की मांग उठती हैं, लेकिन शक्तिशाली बंदूक समर्थक इसका विरोध करते है। इसकारण अमेरिका में किसी की भी सरकार हो इस पर कानून अब तक नहीं बन सका है। वहीं भारत में बंदूक खरीदना लंबी और जटिल प्रक्रिया है। इसके पीछे भी कई ऐतिहासिक और कानूनी कारण हैं। भारत में बंदूक नियंत्रण कानून की जड़ें 1878 के भारतीय शस्त्र अधिनियम में हैं। यह कानून ब्रिटिश सरकार ने 1857 के विद्रोह के बाद लागू हुआ था, ताकि भारतीयों को सशस्त्र होने से रोका जा सके। आजादी के बाद भी इस कानून को जारी रखा गया। भारत में बंदूक खरीदने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है। यह लाइसेंस केवल तभी दिया जाता है जब आवेदक यह साबित कर सके कि उस आत्मरक्षा के लिए सचमुच बंदूक की ज़रूरत है। लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कई स्तरों पर जांच करते हैं। इसमें आवेदक का आपराधिक रिकॉर्ड, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक पृष्ठभूमि और वास्तविक ज़रूरत का मूल्यांकन किया जाता है। यह प्रक्रिया कई महीनों या सालों तक चल सकती है। भारतीय कानून का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखना है। इसलिए, सरकार नागरिकों को हथियार देने के बजाय उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ख़ुद लेती है। वहीं अमेरिका में बंदूक रखना एक संवैधानिक अधिकार है, जबकि भारत में एक विशेष अधिकार माना जाता है, जो कुछ चुनिंदा परिस्थितियों में ही मिलता है। इसकारण अमेरिका में राजनीतिक मतभेद हिंसक रूप ले सकते हैं, जबकि भारत में ऐसे मामलों की संभावना बहुत कम होती है। आशीष/ईएमएस 15 सितंबर 2025