लेख
15-Sep-2025
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(विश्व ओजोन दिवस- 16 सितम्बर, 2025) ओजोन परत पृथ्वी पर मानव जीवन की ढाल है, क्योंकि यह समताप मंडलीय परत पृथ्वी को सूर्य की अधिकांश हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाती है। सूर्य के प्रकाश के बिना मानव, प्रकृति एवं जीव-जंतुओं का जीवन को संभव नहीं है, लेकिन सूर्य की सीधी किरणें मानव के लिये हानिकारक भी है, इन हानिकारक किरणों से ओज़ोन परत ही रक्षा करती है, जीवन को संभव बनाती है। धरती पर बढ़ रही पर्यावरण विनाश की गतिविधियों के कारण ओजोन परत का क्षरण होने लगा, जब 1970 के दशक के अंत में वैज्ञानिकों को पता चला कि मानव निर्मित प्रकृति दोहन इस सुरक्षा कवच में छेद कर रही है, तो उन्होंने चिंता जताई। ओजोन परत में यह छेद दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, जो रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर जैसे एयरोसोल और शीतलन उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली ओज़ोन-क्षयकारी गैसों (ओडीएस) के कारण हो रहा था, जिससे त्वचा कैंसर और मोतियाबिंद के मामलों में वृद्धि और पौधों, फसलों और पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुँचाने का खतरा पैदा कर रहा था। ओजोन परत का क्षरण एक गंभीर खतरा एवं चुनौती के रूप में सामने आया। इसलिये वियना कन्वेंशन में ओजोन के संरक्षण के लिये प्रतिवर्ष विश्व ओजोन दिवस मनाया जाने लगा। इस वर्ष हम वियना कन्वेंशन की 35वीं वर्षगांठ और वैश्विक ओज़ोन परत संरक्षण की 35वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। हर साल, विश्व ओज़ोन दिवस वर्तमान चुनौतियों और प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अनूठी थीम पर मनाया जाता है। 2025 का आधिकारिक थीम:जीवन के लिए ओज़ोन’ है। यह थीम हमारे ग्रह के लिए एक प्रभावी एवं रक्षात्मक ढाल के रूप में ओज़ोन परत के निरंतर महत्व पर प्रकाश डालती है और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की वैश्विक सफलता और भविष्य की संभावनाओं का जश्न मनाती है। पृथ्वी की सतह से 10 से 40 किलोमीटर ऊपर समताप मंडल में स्थित ओज़ोन परत हमें हानिकारक पराबैंगनी विकिरण (यूवी रेडियेशन) से बचाती है। यह सुरक्षात्मक परत, जिसे स्ट्रैटोस्फेरिक ओज़ोन या अच्छी ओज़ोन के रूप में जाना जाता है, मोतियाबिंद और त्वचा कैंसर जैसे प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को रोकती है तथा कृषि, वानिकी और जलीय जीवन की रक्षा करती है। यह दिन हमें स्मरण कराता है कि ओज़ोन परत केवल एक वैज्ञानिक शब्द नहीं, बल्कि पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा कवच है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1994 में स्थापित, यह दिवस 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर की तिथि को चिह्नित करता है, जो एक महत्वपूर्ण घटना थी जब दुनिया ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले पदार्थों को नियंत्रित करने के लिए एकजुट हुई थी। ओज़ोन परत पृथ्वी के समताप मंडल में स्थित है और सूर्य की अधिकांश हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है, जिससे इसका संरक्षण सभी प्रकार के जीवन के लिए आवश्यक है। इस दिवस का उद्देश्य ओज़ोन परत के क्षरण को रोकना और पर्यावरणीय संतुलन की रक्षा करना है। यदि यह परत क्षतिग्रस्त हो जाए तो पृथ्वी पर जीवन असुरक्षित हो जाएगा। महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रकृति हर व्यक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन देती है लेकिन लालच को पूरा करने के लिए नहीं। यही कथन आज ओज़ोन संकट की मूल जड़ को समझाता है। ओज़ोन परत के क्षरण के मुख्य कारणों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) युक्त गैसें हैं जो फ्रिज, ए.सी., एरोसोल स्प्रे और फोम में प्रयुक्त होती हैं। वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषक, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग तथा वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी इसके प्रमुख कारण हैं। इसका सीधा प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। त्वचा कैंसर और आँखों का मोतियाबिंद बढ़ रहा है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है और बच्चों व बुज़ुर्गों में श्वसन संबंधी बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं। ओज़ोन क्षरण जलवायु परिवर्तन और मौसम की चरम स्थितियों को भी जन्म देता है। ग्लेशियर पिघलने की गति तेज हो रही है, समुद्र तल बढ़ रहा है जिससे तटीय शहर खतरे में हैं और बेमौसम बारिश, लू तथा चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम होती जा रही हैं। पर्यावरण पर भी इसका गहरा असर देखा जा रहा है। पौधों की वृद्धि और फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है, जल-जीवों और समुद्री पारिस्थितिकी को हानि पहुँच रही है और जैव विविधता असंतुलित हो रही है। बढ़ते प्रदूषण और वाहन संकट ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। वाहनों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसें और धुआँ न केवल वायु प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं बल्कि ओज़ोन परत को भी कमजोर कर रहे हैं। महानगरों में दमघोंटू धुआँ, बदली हुई वर्षा प्रणाली और सांस की बीमारियाँ इसी का परिणाम हैं। इस संकट से निपटने के लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे। पर्यावरण-अनुकूल तकनीक का प्रयोग, सार्वजनिक परिवहन और साइकिल जैसी स्वच्छ यातायात व्यवस्था का अपनाना, पेड़ लगाना और वनों का संरक्षण करना, सीएफसी और हानिकारक रसायनों पर नियंत्रण तथा सौर, पवन और जल जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना आज की आवश्यकता है। ओज़ोन परत पृथ्वी के जीवन की प्राकृतिक ढाल है। यदि यह नष्ट हो गई तो जीवन की सुरक्षा संकट में पड़ जाएगी। ओज़ोन परत का संरक्षण एवं संवर्द्धन का संकल्प दर्शाता है कि विज्ञान द्वारा निर्देशित सामूहिक निर्णय और कार्रवाई ही प्रमुख वैश्विक संकटों का समाधान है। कोरोना वायरस महामारी जैसे महासंकटों ने इतनी सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयाँ पैदा की हैं, ओज़ोन संधियों का सद्भाव और सामूहिक भलाई के लिए मिलकर काम करने का संदेश पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक हो गया है। इस दिवस का नारा, ‘जीवन के लिए ओज़ोन’, हमें याद दिलाता है कि ओज़ोन न केवल पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए ओज़ोन परत की रक्षा करते रहना चाहिए। अध्ययनों से पता चल रहा है कि तापमान, पराबैंगनी विकिरण और वर्षा की आवृत्ति कुछ पौधों की प्रजातियों के जीवित रहने के लिए उपयुक्त आवासों की उपलब्धता या सीमा निर्धारित करने वाले प्रमुख कारक हैं। पराबैंगनी-बी विकिरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े कारक पौधों की वृद्धि, रोगाणुओं और कीटों से बचाव, और खाद्य फसलों की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। मानव स्वास्थ्य पर, पराबैंगनी विकिरण के गंभीर नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं, हालाँकि, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने बड़ी संख्या में मामलों और मौतों को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। प्रदूषण के संदर्भ में, पराबैंगनी विकिरण वायुमंडल की संरचना और गुणवत्ता पर; मानव, स्थलीय और जलीय पर्यावरण के स्वास्थ्य पर; गहरा प्रभाव डाल सकता है। यह प्लास्टिक प्रदूषकों के विघटन को बढ़ावा देता है जिसका मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है। शहरी और महाद्वीपीय स्तर के वायु प्रदूषण में यूवी विकिरण एक प्रमुख कारक है क्योंकि मानवीय गतिविधियों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्सर्जित कई कार्बनिक यौगिक सौर यूवी विकिरण द्वारा विषाक्त उत्पादों में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता कम हो जाती है और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है। यूवी विकिरण जलीय वातावरण में प्रदूषकों के विघटन का एक प्रमुख कारण भी है, जिससे विषाक्त और कैंसरकारी उत्पाद उत्पन्न होते हैं। वायु की गुणवत्ता क्षोभमंडल में सौर यूवी विकिरण पर निर्भर करती है और इस प्रकार समतापमंडलीय ओजोन परत की मोटाई पर निर्भर करती है तथा यह समतापमंडल से क्षोभमंडल तक ओजोन के परिवहन से प्रभावित होती है। ओज़ोन परत का संरक्षण और संवर्धन इसलिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यही परत सूर्य की घातक पराबैंगनी किरणों से धरती पर जीवन की रक्षा करती है। इसके बिना न तो मानव जीवन सुरक्षित रह सकता है, न ही पृथ्वी पर हरियाली, जल और प्राणी जगत का अस्तित्व संभव है। ओज़ोन का क्षरण हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण और भविष्य तीनों के लिए खतरे की घंटी है, इसलिए विश्व ओज़ोन दिवस केवल एक औपचारिक दिवस नहीं बल्कि यह संकल्प लेने का अवसर है कि हम प्रदूषण को रोकेंगे, हरियाली को बढ़ाएँगे, ऊर्जा के स्वच्छ साधनों का प्रयोग करेंगे और इस जीवनदायिनी ढाल को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे। ईएमएस / 15 सितम्बर 25