:: सुबह हुई पूजा-अर्चना के बाद व्रत का समापन :: इंदौर (ईएमएस)। माँ का व्रत भूख-प्यास की परीक्षा नहीं, बल्कि संतान की सुख-शांति और खुशहाली की मौन प्रार्थना है। आधुनिक युग में जहाँ संचार के साधन दूरियों को मिटा देते हैं, वहीं माँ की ममता एक ऐसा रिश्ता है जो हर सीमा से परे है। इसी असीम ममता की पावन झलक शहर में देखने को मिली, जब मैथिल, भोजपुरी और अन्य पूर्वांचली समुदाय की सैकड़ों माताओं ने अपने बच्चों के दीर्घायु जीवन, सुख और समृद्धि के लिए कठिन जितिया महाव्रत रखा। 36 घंटे के इस निर्जला व्रत का समापन सोमवार सुबह विधिवत पारण के साथ हुआ। सोमवार सुबह 6:27 बजे शहर का वातावरण श्रद्धा से भर गया। माताओं ने पवित्र स्नान के बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा-अर्चना की और खीरा, अंकुरित अनाज, पान के पत्ते, मखाना, फल तथा मिठाई का नैवेद्य अर्पित किया। इसके बाद ही उन्होंने 36 घंटे की कठोर तपस्या को पूर्ण कर प्रसाद ग्रहण किया और व्रत का पारण किया। :: दूरियों को मिटाता माँ का प्यार : वीडियो कॉल पर दिया आशीर्वाद :: इस अवसर पर एक बेहद भावुक दृश्य देखने को मिला। तुलसी नगर की रहने वाली शारदा झा, जो पिछले 30 वर्षों से जितिया व्रत कर रही हैं, उन्होंने उपवास तोड़ने से पहले अमेरिका के शिकागो में रह रहे अपने बेटे-बहू और परिवार के अन्य सदस्यों से वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क साधा। कोलकाता, दरभंगा, फरीदाबाद, दोहा और अबू धाबी में रह रहे अपने बच्चों और परिजनों के साथ जुड़कर उन्होंने सभी को भगवान जीमूतवाहन के चरणों में आशीर्वाद लेने का अवसर दिया। ममता से भरी नम आँखों से हाथ जोड़कर उन्होंने परिवार के बच्चों की सुख-समृद्धि और दीर्घायु जीवन की प्रार्थना की। आभासी माध्यम से दूर बैठे अपने बच्चों को आशीर्वाद देने का यह दृश्य इस बात का सशक्त प्रमाण है कि माँ का प्रेम और आशीर्वाद सरहदों और महासागरों से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है। मैथिल-बिहारी समाज के वरिष्ठ सदस्य के.के. झा ने इस व्रत के महत्व को बताते हुए कहा, “जैसे छठ पर्व अपनी कठोरता के लिए प्रसिद्ध है, वैसे ही जितिया मिथिला की परंपरा का अनमोल रत्न है। यह केवल उपवास नहीं, बल्कि अपार प्रेम और त्याग का प्रतीक है।” उन्होंने बताया कि 36 घंटे तक माताएं सिर्फ एक संकल्प के साथ रहती हैं - अपने बच्चों की भलाई के लिए। इस वर्ष, शहर के मैथिल सामाजिक मंच द्वारा माताओं को आवश्यक सामग्री भी वितरित की गई, ताकि सभी ‘नहाय-खाय’ की परंपरा को पूरी श्रद्धा के साथ निभा सकें। यह जितिया महाव्रत इंदौर में एक धार्मिक अनुष्ठान से कहीं बढ़कर उस सार्वभौमिक सत्य का प्रतीक बन गया कि माँ का आशीर्वाद हर दूरी को पार कर जाता है, चाहे वह इंदौर से अमेरिका तक की ही क्यों न हो। प्रकाश/15 सितम्बर 2025