(भोपाल)आधुनिक भारत की औद्योगिक शक्ति का प्रतीक पीएम मित्र पार्क : मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रधानमंत्री श्री मोदी 17 सितंबर को करेंगे भूमिपूजन भोपाल (ईएमएस)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि धार जिले के भैंसोला में बनने वाला पीएम मित्र पार्क आधुनिक भारत की औद्योगिक शक्ति का प्रतीक बनेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 सितंबर को इस पार्क का भूमिपूजन करेंगे। लगभग 2000 करोड़ की लागत से तैयार होने वाला यह पार्क स्पिनिंग से लेकर डिजाइनिंग, प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट तक की सभी सुविधाएं एक ही परिसर में उपलब्ध कराएगा। यह देश का पहला और सबसे बड़ा पीएम मित्र पार्क होगा, जिसमें कपास से परिधान तक की पूरी वैल्यू चेन विकसित होगी। किसानों को अब कच्चे कपास की बिक्री तक सीमित नहीं रहना पड़ेगा बल्कि उनकी उपज यहीं मूल्य संवर्धन की प्रक्रिया से गुजरकर परिधान बनेगी और वैश्विक बाजार तक पहुंचेगी। विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन इंडस्ट्रियल टाउनशिप जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस यह पार्क मध्यप्रदेश को कॉटन कैपिटल की नई पहचान दिलाएगा। किसानों को मिलेगा वास्तविक मूल्य और वैश्विक पहचान मध्यप्रदेश में साढ़े तीन लाख से अधिक कपास उत्पादक किसान हैं। अब तक वे केवल कच्चे कपास की बिक्री तक सीमित थे, लेकिन पीएम मित्र पार्क के बाद उनकी फसल स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्धन की संपूर्ण श्रृंखला से जुड़ेगी। कपास से यार्न, फैब्रिक, गारमेंट और रेडीमेड परिधान तक की पूरी प्रक्रिया यहीं पूरी होगी। जैविक कपास से बने परिधान सीधे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स तक पहुंचेंगे। मध्यप्रदेश पहले ही विश्व के 24 प्रतिशत नॉन-जीएमओ ऑर्गेनिक कॉटन का उत्पादक है, और अब किसानों को उनकी फसल का वास्तविक मूल्य और वैश्विक पहचान दोनों मिलेंगे। विश्वस्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित सबसे बड़ा पार्क धार का पीएम मित्र पार्क आकार और सुविधाओं दोनों में अद्वितीय है। यहां जीरो लिक्विड डिस्चार्ज आधारित कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, 220 केवी सबस्टेशन और 20 एमएलडी पानी की उपलब्धता होगी। स्काडा और आईओटी आधारित यूटिलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम इस पार्क को डिजिटल और स्मार्ट बनाएगा। ग्रीन इंडस्ट्रियल टाउनशिप का प्रमाणन इसे टिकाऊ औद्योगिक विकास का मॉडल बनाएगा। भूमि, बिजली और पानी प्रतिस्पर्धी दरों पर उपलब्ध होंगे, जिससे यह पार्क भारत का सबसे किफायती और प्रतिस्पर्धी टेक्सटाइल हब बनेगा। इज ऑफ डूइंग बिजनेसऔर नीति प्रोत्साहन मध्यप्रदेश लगातार Ease of Doing Business में अग्रणी रहा है और टॉप अचीवर्स की श्रेणी में शामिल है। राज्य ने सबसे पहले जन विश्वास अधिनियम लागू किया और GIS आधारित पारदर्शी भूमि आवंटन प्रणाली स्थापित की। उद्योग शुरू करने की प्रक्रिया अब 30 दिनों में पूरी की जा सकती है और 13 विभागों की 54 सेवाएं सिंगल विंडो सिस्टम से उपलब्ध हैं। नीतिगत प्रोत्साहनों में उद्योगों को 40 प्रतिशत तक पूंजी सब्सिडी, पांच से सात प्रतिशत ब्याज अनुदान, ग्रीन इंडस्ट्रियलाइजेशन के लिए पचास प्रतिशत सहायता, निर्यात फ्रेट पर पचास प्रतिशत सब्सिडी और रोजगार आधारित अनुदान जैसी सुविधाएं मिलती हैं। केंद्र सरकार की Competitive Incentive Support योजना के अंतर्गत शुरुआती निवेशकों को 300 करोड़ रुपये तक का सहयोग मिलेगा और बिक्री पर तीन प्रतिशत तक टर्नओवर प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। प्रदेश की ताकत और मेजर प्लेयर्स की उपस्थिति मध्यप्रदेश से वर्ष 2024-25 में 9,200 करोड़ रुपये से अधिक का टेक्सटाइल निर्यात हुआ है। यहां 31 गीगावॉट से अधिक पावर क्षमता उपलब्ध है, जिसमें लगभग 30 प्रतिशत क्लीन ग्रीन एनर्जी शामिल है। एक हजार मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक औद्योगिक जल संसाधन, छह इनलैंड कंटेनर डिपो और एक मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क से निर्यात प्रक्रिया बेहद सहज होगी। प्रदेश पहले से ही ट्राइडेंट ग्रुप, वार्धमान, ग्रासिम, नाहर, रेमंड, प्रतिभा सिन्टेक्स, गोकलदास एक्सपोर्ट, महिमा ग्रुप और सागर ग्रुप जैसे बड़े औद्योगिक समूह है। इन कंपनियों की उपस्थिति से यार्न, फैब्रिक, गारमेंट और मशीनरी निर्माण की संपूर्ण वैल्यू चेन पहले से मौजूद है, जिसे पीएम मित्र पार्क और मजबूत करेगा। किसानों और युवाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव धार, झाबुआ, रतलाम और उज्जैन जैसे कपास उत्पादक जिलों के किसान अब औद्योगिक क्रांति के केंद्र में होंगे। आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर मिलेंगे। प्रदेश के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी और लाखों परिवारों का जीवन स्तर ऊँचा होगा। पीएम मित्र पार्क किसानों को स्थायी लाभ, युवाओं को वैश्विक अवसर और उद्योगों को प्रतिस्पर्धी मंच प्रदान करेगा। यह परियोजना मध्यप्रदेश को कॉटन कैपिटल बनाने के साथ-साथ पूरे भारत के लिए टेक्सटाइल सेक्टर की नई औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात करेगी। हरि प्रसाद पाल / 15 सितम्बर, 2025 प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक मंचों पर बढ़ाया है हिन्दी का मान मुख्यमंत्री डॉ. यादव को वॉव अवार्ड एशियन टीम ने सौंपा गोल्ड अवार्ड 10 मूर्धन्य साहित्यकार को राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान रवीन्द्र भवन में हुआ भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम भोपाल(ईएमएस)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मां और मातृभाषा से ऊपर दूसरा कोई नहीं है। मां और मातृभाषा ही हमारी सबसे बड़ी पालक हैं। इनका स्थान कोई नहीं ले सकता है, जैसे मां के चरणों में चारधाम है, उसी प्रकार मातृभाषा की गोद में आनंदधाम है। जितना सटीक हमारी मातृभाषा का व्याकरण है, उतना ही समृद्ध हिन्दी साहित्य है। उन्होंने कहा कि 52 वर्णों में गुंथी हुई हिन्दी की वर्णमाला ही हमारी पहली पाठशाला है। जो अ से अनपढ़ बच्चे की अंगुली पकड़कर ज्ञ से ज्ञानी बना दे, वही हिन्दी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी हमारी संस्कृति को जोड़ती है। हिन्दी के बिना हमारा साहित्य, हमारी भावनाएं और हमारी संवेदनाएं यकीनन अधूरी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को रवीन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में हिन्दी दिवस के अनुक्रम में आयोजित भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य लेखन और हिंदी के व्यापक स्तर पर लोकव्यापीकरण में योगदान देने वाले देश-विदेश के हिन्दी के 10 मूर्धन्य साहित्यकारों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मानों से सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न साहित्यिक पुस्तकों का विमोचन/लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम के दौरान ही महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा आयोजित विक्रमोत्सव 2025 को एशिया के शासकीय समारोह की विशेष श्रेणी में वॉव अवार्ड एशिया की टीम द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव को सम्मान स्वरूप गोल्ड अवार्ड भेंट किया गया। कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण अभियान अंतर्गत देश हित में द सूत्र का अभियान Be इंडियन, Buy इंडियन, हमारी-लक्ष्मी-हमारे पास का शुभारंभ किया गया। आरएनटीयू के विश्व हिंदी ओलंपियाड एवं विश्वरंग के पोस्टर का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज ही अभियंता दिवस भी मनाया गया है। उन्होंने सभी को अभियंता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जहां सर्वाधिक मातृभाषा हिंदी बोली जाती है। भगवान श्रीराम ने हजारों साल पहले मातृभाषा की गरिमा का उल्लेख किया था। आल्हा-ऊदल के महाकाव्य में हिंदी की सुंदरता देखने को मिलती है। रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गावती पर काव्य लिखकर इसे पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। राजाभोज के काल में कविता के रचनाकारों को स्वर्ण मुद्राएं देकर सम्मानित किया जाता था। महाकवि कालिदास की रचनाओं से मालवी, भीली, कोरकू जैसी अनेक भाषाएं निकली हैं। उन्होंने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी काव्य रचनाओं को अलग स्थान दिलाया। उन्होंने 50 वर्ष के राजनीतिक जीवन में सर्वाधिक समय नेता प्रतिपक्ष के पद को सुशोभित किया। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के हर बड़े मंच पर हिंदी भाषा में संबोधन के जरिए भारत को गौरवान्वित करते हैं। उनके पहुंचने मात्र से ही मंच प्रकाशमय हो जाता है। कार्यक्रम में संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर है। हिंदी हमारी सांस्कृतिक चेतना और हमारे विचारों को दर्शाने वाली भाषा है। सभी सम्मानित 10 विभूतियों को मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग की ओर से बधाई देता हूं। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए राज्य सरकार कार्य कर रही है। प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने की शुरुआत हुई है। आरएनटीयू के कुलगुरु डॉ. संतोष चौबे ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा कला, संस्कृति के क्षेत्र में शुरू हुए कार्य देशभर में पहचान बना रहे हैं। विश्वरंग दुनिया के कई देशों तक फैल चुका है। मॉरीशस सहित अनेक देशों में हिंदी पढ़ाई जाती है। विश्व हिंदी ओलंपियाड 50 देशों में आयोजित हो रहा है और करीब 4 से 5 लाख लोग इसमें शामिल होंगे। विश्वरंग का समापन श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री जी को विश्व हिंदी ओलंपियाड के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करते हैं। अपर मुख्य सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि भारतीय भाषा अनुष्ठान हिंदी के सम्मान का एक उल्लास पर्व है। मध्यप्रदेश सरकार हिंदी को सर्वोच्च स्थान दिलाने में योगदान करने वाली विभूतियों, लेखकों, साहित्यकारों और रचनाकारों को सम्मानित कर स्वयं गौरवान्वित हो रही है। सम्मान एवं अलंकरण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन 10 विभूतियों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मान से अलंकृत किया। राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान प्रशांत पोळ-जबलपुर (2024) लोकेन्द्र सिंह राजपूत- भोपाल (2025) राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान सुश्री रीता कौशल-ऑस्ट्रेलिया (2024) डॉ. वंदना मुकेश- इंग्लैण्ड (2025) राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान डॉ. इंदिरा गाजिएवा-रूस (2024) श्रीमती पदमा जोसेफिन वीरसिंघे (2025) राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान डॉ. राधेश्याम नापित-शहडोल (2024) डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे-भोपाल (2025) राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान डॉ. के.सी. अजय कुमार-तिरुवनंतपुरम् (2024) डॉ. विनोद बब्बर-दिल्ली (2025) साहित्यिक पुस्तकों/प्रकाशनों का हुआ लोकार्पण/विमोचन भारतीय भाषा आलोक - राजेश्वर त्रिवेदी समाज की भाषा का संकल्प - विजयदत्त श्रीधर भोजपुरी प्रतिभाएं - डॉ. धर्मेन्द्र पारे शिवगीता, दत्तात्रेयगीता, कपिलगीता, अवधूतगीता, भागवतगीता, यमगीता, हरिहरगीता, भृगुगीता, श्रीकृष्ण चरित्र - बंकिमचन्द्रम चट्टोपाध्याय श्रीराधा द्वापर युग की महानायिका - अशोक शर्मा एवं लोक में वेदांत - डॉ. सरोज गुप्ता कार्यक्रम में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, विधायक भगवानदास सबनानी, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी, संचालक संस्कृति एमपी नामदेव, वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी सहित सम्मानित हुए साहित्यकारों के परिजन, विद्वतजन सहित बड़ी संख्या में हिंदी भाषा एवं साहित्य के सुधिजन और संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। हरि प्रसाद पाल / 15 सितम्बर, 2025