राष्ट्रीय
16-Sep-2025
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-यह एक मौसमी फ्लू है जो मौसम के बदलाव होते ही सक्रिय हो जाता है नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में एच3एन2 वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह वायरस इंफ्लुएंजा-ए का एक सबटाइप है, जो इन दिनों तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। खास बात यह है कि यह वायरस आम फ्लू से थोड़ा अलग और गंभीर है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लक्षण शुरुआती दौर में नजर आ सकते हैं, लेकिन इलाज में देरी गंभीर रूप धारण कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एच3एन2 वायरस दरअसल इंफ्लुएंजा-ए वायरस का एक प्रकार है। यह एक मौसमी फ्लू है जो खासकर मौसम के बदलाव के समय सक्रिय हो जाता है। इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि यह वायरस लगातार म्यूटेट होता रहता है यानी इसका रूप बदलता रहता है, जिससे हर बार नया प्रकार सामने आ जाता है और लोगों को इसकी चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। एच3एन2 वायरस के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 1 से 4 दिनों के अंदर सामने आने लगते हैं। तेज बुखार सबसे पहला लक्षण है। इसके साथ-साथ लगातार खांसी, गले में खराश या गले का बंद होना और नाक का बहना या बंद हो जाना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को शरीर में तेज दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और सिरदर्द भी हो सकता है। थकान और कमजोरी इतनी होती है कि लोग सामान्य काम भी नहीं कर पाते। जानकारी के मुताबिक बच्चों में एच3एन2 के लक्षण कुछ अलग हो सकते हैं। छोटे बच्चों में बुखार के साथ उल्टी आना और जी मचलाना आम होता है। कई बार माता-पिता इन लक्षणों को सामान्य पेट खराब समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है। यह वायरस बेहद तेजी से फैलता है। खांसने, छींकने या बात करते समय निकले हुए वायरस युक्त बूंदों के जरिए यह दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति किसी सतह को छूता है और फिर वही सतह कोई और व्यक्ति छूत लेता है, तो संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इसके बाद अगर वह व्यक्ति अपने चेहरे, मुंह या आंखों को छूता है, तो वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एच3एन2 वायरस खासतौर पर छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इन लोगों में यह वायरस सांस संबंधी गंभीर समस्याएं, जैसे ब्रोंकाइटिस या न्यूमोनिया का कारण भी बन सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को अतिरिक्त सावधानी की जरुरत है। इस वायरस से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय है समय पर वैक्सीन लगवाना है। डब्ल्यूएचओ हर साल फ्लू वैक्सीन लेने की सलाह देता है, जो शरीर को मौसमी फ्लू से लड़ने में मदद करती है। इसके अलावा, बार-बार हाथ धोना, खासकर किसी सतह को छूने के बाद बहुत जरूरी है। छींकते या खांसते वक्त टिशू या अपनी कोहनी का इस्तेमाल करें और जितना हो सके, चेहरे को छूने से बचें। अगर किसी को लक्षण नजर आ रहे हैं, तो उसे तुरंत खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए। घर में ही रहें, ताकि वायरस दूसरों तक न पहुंचे। यह सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम दूसरों को भी इस संक्रमण से बचाएं। एच3एन2 वायरस से ठीक होने में आमतौर पर एक हफ्ता लगता है, लेकिन इस दौरान मरीज को पूरी तरह आराम करना, खुद को हाइड्रेटेड रखना और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयां समय पर लेना जरूरी होता है। अगर बुखार लंबे समय तक बना रहे, सांस लेने में दिक्कत हो, सीने में दर्द हो या चक्कर आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। एच3एन2 वायरस भले ही नया नहीं है, लेकिन इसकी गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। दिल्ली में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और अगर समय पर सावधानी न बरती जाए तो यह स्थिति और बिगड़ सकती है। जरूरी है कि लोग लक्षणों को पहचानें, समय पर डॉक्टर से संपर्क करें और खुद के साथ ही अपने परिवार और समाज की भी सुरक्षा करें। सिराज/ईएमएस 16 सितंबर 2025