60 मुस्लिम देश कतर में हुए एकजुट, यूएन में इजराइल के खिलाफ लाएंगे प्रस्ताव तेल अवीव,(ईएमएस)। 15 सितंबर 2020 से लेकर 2025 में के बीच काफी कुछ बदल चुका है। वाइट हाउस के कॉरिडोर में 2020 में अब्राहम अकॉर्ड हुआ था, जिसके तहत बहरीन और यूएई जैसे देशों ने इजराइल के साथ आने पर सहमति जताई थी। ईसाई, इस्लाम और यहूदी मजहब में अब्राहम ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी समान रूप से मान्यता है। ऐसे में उनके ही नाम पर यह समझौता हुआ था, लेकिन दिलचस्प बात है कि जिस 15 सितंबर की तारीख को यह समझौता हुआ था, उसी दिन इजराइल के खिलाफ 60 मुस्लिम देश कतर की राजधानी दोहा में जुटे। पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई समेत 60 मुस्लिम देशों के इस समिट में इजराइल के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ। इसके अलावा फिलिस्तीन को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने वाले देशों की संख्या बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाने की भी बात हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि गाजा में इजराइल की ओर से जारी हमलों ने हालात बदल दिए हैं। जो अरब देश कभी इजराइल से समझौते पर विचार कर रहे थे, उन्हें अब लगता है कि उससे करीबी बढ़ाने का नुकसान होगा। उन्हें इस्लामिक देशों के बीच ही अपनी साख खोनी पड़ सकती है। इसलिए ये देश इस्लामिक अरब समिट में पहुंचे और इजराइल के खिलाफ प्रस्ताव पास किया। बता दें इजराइल की ऐसी सैकड़ों कंपनियां हैं, जिन्होंने अब्राहम अकॉर्ड के बाद संयुक्त अरब अमीरात से काम करना शुरू किया था। इसके अलावा अमीरात की कंपनियों ने इजराइली टेक स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट किया था और गैस एवं तकनीक से जुड़े क्षेत्रों में पैसा लगाया, लेकिन गाजा के युद्ध ने एक झटके में सब कुछ बदल दिया। जुलाई 2025 तक इजराइल और यूएई के बीच का कारोबार 293 मिलियन डॉलर पहुंच गया था। यह बीते साल के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा था। इसके अलावा एक और इस्लामिक देश मोरक्को के साथ भी कारोबार में 32 फीसदी का इजाफा हुआ, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं यह देश इजराइल से व्यापार नहीं करना चाहते क्योंकि इजराइल ने गाजा में हजारों मासूम बच्चों और महिलाओं की जान का दुश्मन बना है। सिराज/ईएमएस 16सितंबर25 -----------------------------------