राष्ट्रीय
17-Sep-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। पड़ोसी देश पाकिस्तान में इस पर 7700 से अधिक लंबा रेल नेटवर्क है, जो पूरे पाक के प्रमुख शहरों को कवर करती है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यहां पर महिला लोको पायलट एक भी नहीं है। हालांकि अभी हाल ही में पहली मेट्रो पायलट जरूरी बनी है। देश में इसे ही पहली ट्रेन लोको पायलट माना जा रहा है। निदा सालेह मलिक लाहौर में चलने वाली ओरेंज मेट्रो चलाती हैं। इस तरह पाक में 37 साल बाद महिला ट्रेन (मेट्रो) चला रही है। वहीं भारत में वंदेभारत जैसी हाई स्पीड ट्रेन महिला चला रही हैं। वहीं भारत में महिलाएं किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं। हवाई जहाज, फाइटर प्लेन से लेकर ट्रेन चलाने तक में महिलाएं आगे हैं। खास बात यह है कि एशिया की पहली महिला लोको पायलट भी इंडिया की हैं, जो करीब 37 साल पहले लोको पायलट बनी थीं, लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान में महिला लोको पायलट की बात जानकर हंस पड़ेंगे। यहां पर एक महिला लोको पायलट मुख्य ट्रेनों को नहीं चलती हैं, हाल ही में एक महिला मेट्रो ड्राइवर जरूर बनी हैं। मौजूदा समय भारतीय रेलवे में 1 लाख महिला कर्मचारी हैं, जो कुल वर्कफोर्स का लगभग 8.2 प्रतिशत हैं। इसके साथ ही महिनलाएं लोको पायलट, स्टेशन मास्टर, ट्रैकमैन, सिग्नल मेंटेनेंस गार्ड और गैंगमैन का काम बाखूबी कर रही हैं। भारती रेलवे में पहली महिला लोको पायलट 1988 में सुरेखा यादव बनी थीं। वो आज सेमी हाई स्पीड ट्रेन यानी वंदेभारत चलाती हैं।इस समय देश में कुल महिला लोको पायलटों की संख्या करीब 1828 हो गयी है। सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश से महिला लोको पायलट की है। यहां पर 222 हो गई है। रेलवे में इनकी भागीदारी बढ़ती जा रही है। कई रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में पूरा का पूरा स्टाप ही महिलाओं का है। यह देश के लिए गर्व की बात है। वीरेंद्र/ईएमएस 17 सितंबर 2025