राष्ट्रीय
17-Sep-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। घरेलू और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के बीच कोलकाता में आयोजित किए जा रहे सेना, वायुसेना और नौसेना के तीन दिवसीय ‘संयुक्त कमांडर सम्मेलन-25 (ट्रिपल-सी)’ के दूसरे दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शीर्ष कमांडरों को संबोधित किया। जिसमें सबसे पहले उन्होंने सेनाओं से ये आह्वान किया कि उन्हें युद्ध के परंपरागत खतरों के बाहर मौजूद सूचना, विचारधारा, पारिस्थितिकी और जैविक युद्ध जैसी गैर-परंपरागत अदृश्य चुनौतियों से दो-दो हाथ करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। युद्ध की प्रकृति लगातार बदल रही है और उसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए हालिया संघर्षों ने तकनीक से मित्रता रखने वाली सेना के महत्व को उजागर किया है। उभरती हुई चुनौतियों के लिए तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता जरूरी है। साथ ही दुनिया में हो रहे बदलावों, तनावपूर्ण वैश्विक व्यवस्था, क्षेत्रीय अस्थिरता और उभरते हुए सुरक्षा परिदृश्य के बीच देश के सुरक्षा सिस्टम पर पड़ने वाले प्रभाव का लगातार आकलन करने की आवश्यकता पर भी रक्षा मंत्री ने बल दिया। उन्होंने कहा कि सामरिक स्वायत्ता आत्मनिर्भरता की चाबी है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलती है और रोजगार सृजन के साथ ही क्षमता बढ़ती है। वर्तमान युग की लड़ाइयां अचानक के साथ ही अप्रत्याशित भी हैं। जिसकी वजह इनकी समय-सीमा का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। हो सकता है कि लड़ाई दो महीने चले या एक साल या फिर पांच साल तक की भी इनकी अवधि हो सकती है। ऐसे में हमें तैयार रहना पड़ेगा। साथ ही तेज प्रदर्शन के साथ ही हमारी क्षमता भी पर्याप्त होनी चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का रक्षा क्षेत्र रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताओं का मिश्रण प्रस्तुत करता है। जिसे देखते हुए शीर्ष कमांडरों को अतिसक्रिय भूमिका के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुदर्शन चक्र विजन के क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बाबत परियोजना से जुड़ी जरूरी जांच-पड़ताल और एक वास्तविक योजना तैयार करने के लिए हालांकि सरकार की तरफ से एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन कर दिया गया है। जिसमें मेरा सुझाव यह है कि अगले पांच वर्षों के लिए एक पंचवर्षीय योजना के तहत मध्यम अवधि की योजना और दीर्घावधि में दस वर्षीय योजना के साथ विजन को धरातल पर अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए। वीरेंद्र/ईएमएस/17सितंबर2025 -----------------------------------