राष्ट्रीय
17-Sep-2025
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। उत्तर भारत में रहने वाले किसी भी शख्स के लिए हिंदी बोलना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन अपना उच्चारण सुधारने के लिए कोई सर्जरी करवा ले, यह वाकई में अनूठी बात है। आंबेडकर नगर के रहने वाले कवि अभय सिंह निर्भीक का नाम वीर रस के कवियों में शुमार किया जाता है। सैकड़ों मंचों के अलावा वह तीन बार लाल किले के कवि सम्मेलन से भी कविता पाठ कर चुके हैं। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के बावजूद तय किया कि इंजिनियरिंग में नहीं, हिंदी कविता की दुनिया में करियर बनाना है। लेकिन, वह स और श का सही उच्चारण नहीं कर पाते थे इसलिए उन्होंने अपने मुंह के अंदर के हिस्से की दो बार सर्जरी करवा दी। कवि निर्भीक इन दिनों लखनऊ में रहते हैं। अभय बताते हैं कि स्कूल वाले दिनों से ही उन्हें कविता पढ़ना, सुनना और लिखना काफी पसंद था। वे वीर रस के कवि विनीत चौहान से काफी प्रभावित थे। उनके पिता स्व. विजय बहादुर सिंह सेना में अधिकारी थे इसलिए भी वीर रस की कविताएं उन्हें बहुत पसंद थीं। पिता ने भी इस फील्ड में आने के लिए काफी प्रेरित किया। वह कहते हैं, जब मैं कवि सम्मेलन में जाता था, तब कविता पढ़ते वक्त स और श के बीच उच्चारण स्पष्ट नहीं कर पाता था। उच्चारण की गलतियों के लिए वरिष्ठ कवि अक्सर टोकते थे और मुझे बहुत शर्मिंदा होना पड़ता था। उन्होंने बताया, साल 2011 में एक दिन मैं लखनऊ में हास्य कवि सर्वेश अस्थाना के घर कवि गोष्ठी में था। वहां भी वरिष्ठ कवियों ने मुझे टोका। उसी गोष्ठी में एक डेंटल सर्जन डॉ. आनंद भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आप लोग इन्हें बेवजह टोक रहे हैं। इसमें इनकी कोई गलती नहीं है। इनके दांत और जबड़े की बनावट में दिक्कत है। अगर ऑपरेशन किया जाए तब यह ठीक हो सकता है। अभय बताते हैं, मेरे दांतों की बनावट में जो समस्या थी, इसकारण हवा दांतों के बीच से होकर पास हो जाती थी और दोनों जबड़े भी हल्के से आपस में चिपके हुए थे। इससे मैं स और श का साफ उच्चारण नहीं कर पाता था। डॉ. आनंद की बातों का मुझ पर गहरा असर हुआ। मुझे लगा कि मैं किसे किसे यह बताऊंगा कि सही उच्चारण क्यों नहीं कर पाता, इसलिए मैंने ऑपरेशन कराने का फैसला लिया। इस प्रक्रिया में डेढ़ महीने लगे। इसके बाद मैं बिना रुकावट धाराप्रवाह हिंदी के शब्दों का सही उच्चारण कर लेता हूं। आशीष/ईएमएस 17 सितंबर 2025