- नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल कर यात्री सेवा में फिर से शामिल किया जाएगा मुंबई, (ईएमएस)। तकनीकी खराबी और अन्य समस्याओं के कारण पिछले कुछ वर्षों से चर्चा में रही मुंबई की मोनोरेल सेवा अब बंद हो जाएगी। चेंबूर से संत गाडगे महाराज चौक तक का पूरा 19.74 किलोमीटर का हिस्सा अस्थायी रूप से बंद रहेगा। एमएमआरडीए ने बड़े सुधार के लिए यह निर्णय लिया है। इस निर्णय का उद्देश्य दैनिक यात्रियों को सुरक्षित, सुगम और अधिक विश्वसनीय सेवाएँ प्रदान करना है। बताया गया है कि इस शनिवार, 20 सितंबर से मोनोरेल अनिश्चित काल के लिए बंद हो जाएगी। मोनोरेल सेवा 2014 में मुंबईकरों के लिए शुरू की गई थी। हालांकि, मोनोरेल सेवा को यात्रियों की ओर से कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। इस वजह से मोनोरेल घाटे में चल रही थी। इसके बाद हाल के दिनों में मोनोरेल में तकनीकी समस्याओं के कारण यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। कुछ दिन पहले भारी बारिश के दौरान दो स्टेशनों के बीच मोनोरेल बंद हो गई थी। इसके कारण 588 यात्रियों को ट्रेन से उतारने के लिए दमकल विभाग को सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पड़ा था। इन सब से यात्री सुरक्षा का मुद्दा उठा था। इसके बाद, मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने मोनोरेल सेवा को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने बताया कि आने वाले समय में मोनोरेल सेवा में नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और फिर इसे यात्री सेवा में फिर से शामिल किया जाएगा। आपको बता दें कि मोनोरेल सेवा मार्ग का पहला चरण 2014 में शुरू हुआ था। दूसरा चरण 2019 में शुरू हुआ। हालाँकि, इस सेवा को मुंबईकरों से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली। गलत जगहों पर स्थित स्टेशन, ट्रेनों की कम संख्या और कम फ्रीक्वेंसी के कारण, मोनोरेल सेवा दिन-ब-दिन बदनाम होती गई। 2014 से 2022 तक के आठ वर्षों में, एमएमआरडीए ने मोनोरेल के संचालन से 29.73 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। हालाँकि, इस सेवा को चलाने में 343 करोड़ रुपये की लागत आई। इसके अलावा, वर्तमान में सेवा में आने वाली मोनोरेल ट्रेनें पुरानी हैं। चूँकि ये ट्रेनें विदेशी निर्मित हैं, इसलिए उनकी मरम्मत मुश्किल हो गई है। मोनोरेल सेवा अब अगले कुछ महीनों के लिए बंद रहेगी। इस दौरान मोनोरेल की सेवा और तकनीक में आमूल-चूल परिवर्तन होने की संभावना है। वर्तमान मोनोरेल ट्रेनें विदेशी निर्मित हैं। इसलिए अब मेक इन इंडिया परियोजना के तहत, मोनोरेल के डिब्बों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। साथ ही, हैदराबाद में विकसित नई सिग्नलिंग प्रणाली सीबीटीसी को मोनोरेल में लागू किया जा सकता है। इसके लिए मोनोरेल सेवा को कुछ समय के लिए बंद करना होगा। इसके बाद, मोनोरेल को सुरक्षित और सुदृढ़ बनाकर पुनः चालू किया जाएगा। - भविष्य के मेट्रो संचालन के लिए कर्मचारियों का प्रशिक्षण मोनोरेल ट्रेन के उन्नयन और रखरखाव का काम रात में 3.5 घंटे में पूरा करने की अनुमति दी गई है। यह समय बड़े पैमाने पर काम करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए, पूरी मोनोरेल सेवा बंद कर दी जाएगी ताकि सुधार कार्य अधिक तेज़ी से, कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से पूरा किया जा सके। मोनोरेल में पहले भी कई तकनीकी खराबी आ चुकी हैं। खराबी के कारण मोनोरेल ट्रेन में यात्री फंस गए थे। भारी बारिश के दौरान मैसूर कॉलोनी के पास 582 यात्री फंस गए थे। एंटॉप हिल और जीटीबीएन स्टेशनों के बीच ट्रेन रुकने पर फंसे हुए यात्रियों को निकालना पड़ा। - मोनोरेल में क्या सुधार किए जाने हैं? 1) नई ट्रेनें- मेक इन इंडिया पहल के तहत दस नए रैक जोड़े जाएँगे। आठ रैक पहले ही आ चुके हैं, बाकी का काम पूरा होने वाला है। 2) सीबीटीसी सिग्नलिंग सिस्टम- एक आधुनिक संचार ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (सीबीटीसी) स्थापित की जा रही है। यह प्रणाली हैदराबाद में विकसित की जा रही है। इस प्रणाली का पहली बार मोनोरेल में उपयोग किया जाएगा। 3) बेड़े का ओवरहाल- पुरानी ट्रेनों का नवीनीकरण किया जाएगा और संचालन दल को नई प्रणाली और भविष्य के मेट्रो परिवहन को संभालने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। संजय/संतोष झा- १७ सितंबर/२०२५/ईएमएस