सरकार कर रही पत्र की सत्यता की जांच कहा- नक्सल के खिलाफ जारी रहेगा ऑपरेशन नई दिल्ली,(ईएमएस)। प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने दावा किया है कि वह सरकार से शांति वार्ता के लिए अस्थायी तौर पर अपना सशस्त्र संघर्ष रोकने को तैयार है। पत्र में यह शर्त रखी गई है कि सरकार एक महीने के युद्धविराम का एलान करे। छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि इस बयान की प्रामाणिकता की जांच की जा रही है। राज्य के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि पत्र की सत्यता जांचने के बाद अगर यह सही पाया गया, तो वरिष्ठ नेता इस पर फैसला लेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक माओवादियों की यह कथित अपील मंगलवार को सोशल मीडिया पर सामने आई थी। रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि इस कथित बयान की जांच की जाएगी, लेकिन नक्सलवाद के ख़िलाफ़ ऑपरेशन जारी रहेगा, यदि नक्सली बंदूक त्यागकर मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सरेंडर करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास समेत कई योजनाएं चला रही है। ऐसे में नक्सली बंदूक त्यागकर सामने आएंगे तो सरकार उनके साथ शांति वार्ता के लिए पहल करेगी। बस्तर के इंस्पेक्टर जनरल सुंदरराज पी ने कहा कि सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति के नाम से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति, जिसमें हथियार डालने और शांति वार्ता की संभावना का उल्लेख किया गया है, हमारे संज्ञान में आई है। इस विज्ञप्ति की जांच की जा रही है और इसकी विषय-वस्तु का सावधानीपूर्वक परीक्षण किया जा रहा है। हम यह साफ करना चाहते हैं कि सीपीआई (माओवादी) के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत या संवाद के बारे में सरकार समुचित विचार और मूल्यांकन के बाद ही फैसला करेगी। माओवादियों ने अपने पत्र में लिखा है कि हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए किए जा रहे अनुरोधों के मद्देनज़र उन्होंने हथियार डालने का फैसला लिया है। पत्र में लिखा है, हथियारबंद संघर्ष को अस्थायी रूप से विराम देने का फैसला लिया गया है। इस विषय में हम केंद्रीय गृहमंत्री या उनके नियुक्त व्यक्तियों से वार्ता के लिए तैयार हैं। प्राथमिक रूप से हम वीडियो कॉल के जरिए भी सरकार के साथ विचारों के आदान-प्रदान के लिए तैयार हैं। माओवादियों ने लिखा है कि वे मार्च 2025 से ही सरकार के साथ शांति वार्ता के लिए प्रयास कर रहे हैं। माओवादियों का ये कथित बयान उनकी पार्टी के महासचिव बसवराजू के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के चार महीने बाद आया है। विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों का अभियान तेज होने के बाद माओवादी कमजोर हो गए हैं और अब बचाव की रणनीति अपना रहे हैं। इस सप्ताह सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय कमेटी की सुजाता ने आत्मसमर्पण कर दिया था। पिछले कुछ दिनों के अंदर ही सीपीआई माओवादी की सेंट्रल कमेटी के एक सदस्य मोडेम बालकृष्णा के मारे जाने और सेंट्रल कमेटी की ही दूसरी सदस्य सुजाता के आत्मसमर्पण के बाद माना जा रहा है कि माओवादी संगठन अपने सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहा है। सिराज/ईएमएस 17सितंबर25 -----------------------------------