मॉस्को(ईएमएस)। रूस और भारत के मधुर रिश्तों से समूची दुनिया परिचित है। फिर रूस जंग लड़ रहा हो और उसकी धरती पर भारतीय सेना का उतर जाए तो खलबली मचना स्वाभाविक है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अचानक इस अभ्यास का दौरा किया और बताया कि इसमें 1 लाख सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। यह संख्या बेलारूस की ओर से पहले बताए गए 7,000 से कई गुना ज्यादा है। नाटो के पूर्वी मोर्चे पर पहले से ही तनाव है। पिछले हफ्ते रूस के 21 ड्रोन पोलैंड की हवाई सीमा में घुस गए थे, जिसके बाद वारसॉ ने सीमा बंद करने और 40,000 सैनिक तैनात करने का ऐलान किया। दरअसल, दोनों देशों के बीच ‘जापाद-2025’ नाम का एक बड़ा सैन्य अभ्यास हो रहा है। इस बड़े सैन्य अभ्यास में भारत भी शामिल हुआ है। अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद के बीच ऐसा हो रहा है। ईरान के साथ-साथ अफ्रीकी महाद्वीप के कई साझेदार भी इसमें शामिल हुए हैं। खास बात यह है कि भारत की ओर से कुमाऊं रेजिमेंट के 65 जवान रूस के निजनी नोवगोरोद के पास मुलिनो ट्रेनिंग ग्राउंड पर तैनात किए गए हैं। हालांकि अगर आप यह सोच रहे हैं कि भारत के इस कदम से अमेरिका-भारत में तनाव बढ़ सकता है तो ऐसा नहीं है। क्योंकि अमेरिका खुद इस मिलिट्री एक्सरसाइज में मौजूद है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इन सैनिकों की मौजूदगी का मकसद रूस के साथ रक्षा सहयोग और आपसी भरोसे को और मजबूत करना है। यहां भारतीय जवान अपने रूसी साथियों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण, टैक्टिकल ड्रिल और हथियार संचालन की विशेष तकनीकें साझा करेंगे। पहले जहां ‘जापाद’ अभ्यास को सिर्फ रूस और बेलारूस के बीच की कवायद माना जाता था, वहीं अब इसमें भारत, ईरान, बांग्लादेश, बुर्किना फासो, कांगो और माली जैसे देश भी जुड़ गए हैं। अमेरिका भी ऑब्जर्वर के तौर पर पहुंचा है। हालांकि इस अभ्यास के लिए वह रूस नहीं बल्कि बेलारूस में था। इस बार सबसे चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि अमेरिका ने भी इन अभ्यासों को पहली बार 2022 के बाद नजदीक से देखा। पेंटागन ने पुष्टि की कि उसके रक्षा अटैची ने बेलारूस में आयोजित डिस्टिंग्विश्ड विजिटर डे में हिस्सा लिया। वहां अमेरिकी अधिकारियों ने बेलारूस के रक्षा मंत्री विक्टर ख्रेनिकोव से हाथ मिलाया और रूस के करीबी इस देश के साथ नई कूटनीतिक ‘वॉर्मिंग अप’ का संकेत दिया। विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बेलारूस को रूस से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि ये रणनीति सफल होना मुश्किल मानी जाती है। एक और संभावना यह मानी जा रही है कि ट्रंप बेलारूस और के रूस से करीबी रिश्तों का फायदा उठाकर यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए कोई समझौता कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसी सिलसिले में ट्रंप ने हाल ही में बेलारूस की एयरलाइन बेलाविया पर लगे प्रतिबंध हटाए और बदले में मिन्स्क ने 52 राजनीतिक बंदियों को रिहा किया। भारत का रूस के साथ रक्षा सहयोग दशकों पुराना है। भारत ने यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीदा। हालांकि, अमेरिका और यूरोप लगातार भारत को रूस से दूर करने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एससीओ सम्मेलन में पुतिन और शी जिनपिंग दोनों से गर्मजोशी से मुलाकात कर यह साफ किया कि भारत अपने पुराने दोस्त रूस के साथ पार्टनरशिप बनाए रखेगा। वीरेंद्र/ईएमएस/17सितंबर2025