क्या बाघ संरक्षण के लिए राष्ट्रीय एजेंसी की स्थापना की जानी चाहिए नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश में बाघों के शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या बाघ संरक्षण के लिए एक समर्पित राष्ट्रीय एजेंसी की स्थापना की जानी चाहिए। राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और देशभर के अन्य राज्यों में सक्रिय आपराधिक गिरोहों की सीबीआई जांच कराने की मांग पर कोर्ट ने गृह मंत्रालय (एमएचए), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है। सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश के बाघ अभ्यारण्यों के 30 फीसदी से ज्यादा बाघ संरक्षित क्षेत्र से बाहर ही घूमते रहते हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने कहा कि आप हमें वह रिपोर्ट दिखाइए। प्रस्तुत रिपोर्ट से पता चलता है कि एक बड़ा रैकेट है जो उत्तर, दक्षिण के देशों के साथ-साथ भारत के सभी हिस्सों के लोग इस गिरोह में शामिल हैं जो बाघ का शिकार करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसकी जांच सीबीआई को सौंपना जरूरी है और एक केंद्रीय एजेंसी की स्थापना होनी चाहिए जो बाघ संरक्षण को विशेष रूप से संभाले। सीजेआई गवई ने रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद नोटिस जारी करने का आदेश दिया और कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को भी सरकार की ओर से निर्देश लेने को कहा है। सिराज/ईएमएस 17सितंबर25 ---------------------------------