राष्ट्रीय
18-Sep-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। हाल ही में 60 इस्लामिक देशों की कतर में बैठक हुई थी। जिसमें मुख्य एजेंडा था एकजुट होने का। इस दौरान पाकिस्तान, तुर्की जैसे मुसलमान देशों ने इस्लामिक नाटो संगठन बनाने का सुझाव दिया था। यह अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो की तर्ज पर था, जिसके तहत यूरोप के कई देश आते हैं और उन्हें सुरक्षा की गारंटी मिली है। इसी तरह मुसलमान देशों को सुरक्षा की गारंटी देने के नाम पर ऐसे संगठन का प्रस्ताव रखा गया। मीटिंग में इस पर कोई ठोस पहल होती नहीं दिखी, लेकिन पाकिस्तान और सऊदी अरब ने इस ओर कदम जरूर बढ़ा दिए हैं। ऐसे में पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ सुरक्षा समझौता करके खुद को इस्लामिक देशों के बीच मजबूत करने की कोशिश की है। लंबे समय से पाकिस्तान की यह कोशिश रही है कि कश्मीर के मसले को इस्लाम के नाम पर बढ़ावा दिया जाए और फिर सऊदी अरब, तुर्की, मलयेशिया जैसे देशों को साथ लिया जाए। हालांकि दिलचस्प बात यह है कि सऊदी अरब ने इस समझौते के साथ ही भारत के साथ अपने रिश्तों पर भी बात की है। रिपोर्ट के मुताबिक एक सऊदी अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं। ऐतिहासिक स्तर पर हमारी दोस्ती है। हम क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हित में रिश्ते मजबूत करते रहेंगे। दोनों देशों ने एक सुरक्षा समझौता किया है, जिसके तहत किसी एक देश पर हमले को दोनों पर अटैक माना जाएगा। इस तरह दोनों देशों ने एक दूसरे को सुरक्षा गारंटी दी है और आड़े वक्त में खड़ा रहने का संकल्प जताया है। साफ है कि एक बड़े इस्लामिक नाटो की तरफ कदम नहीं बढ़े हैं, लेकिन उसके ही छोटे संस्करण पर पाकिस्तान और सऊदी अरब ने मुहर लगाई है। भारत के लिए यह खबर मायने रखती है क्योंकि पाकिस्तान उसका चिर प्रतिद्वंद्वी रहा है। मई में ही दोनों देशों के बीच 4 दिन की सैन्य झड़प चली थी। इसके अलावा भी अकसर तनाव बना रहता है और दोनों देश जंग के मुहाने पर कभी भी रहते हैं। हालांकि पाकिस्तान के पास जो परमाणु हथियार हैं, उनके इस्तेमाल को लेकर इस समझौते में कोई बात नहीं की गई है। बता दें कि 1967 से ही सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रक्षा करार रहे हैं। पाकिस्तान की सेना ने सऊदी अरब के 8200 सैनिकों को अपने यहां प्रशिक्षित भी किया है। माना जा रहा है कि कुछ और मुसलमान देशों के बीच भी ऐसे करार हो सकते हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/18सितंबर2025