नई दिल्ली (ईएमएस)। आपकी जब नाक सूख जाती है, तो इसका सीधा असर कानों पर पड़ सकता है और सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। नाक के सूखने की समस्या आम तौर पर कई कारणों से उत्पन्न होती है। लंबे समय तक धूल, धुआं और प्रदूषण के संपर्क में रहना, मौसम में नमी की कमी, एलर्जी या सर्दी-जुकाम, फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण, कुछ दवाओं का अत्यधिक उपयोग, शरीर में तरल पदार्थों की कमी और उम्र बढ़ने से नमी घट जाना इसके प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा डायबिटीज और ऑटोइम्यून डिजीज जैसी बीमारियां भी इस समस्या को और गंभीर बना सकती हैं। जब नाक लंबे समय तक सूखी रहती है तो यूस्टेशियन ट्यूब ब्लॉक हो सकती है। इससे कान के मध्य भाग में हवा का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे दबाव या दर्द महसूस होता है। कई मामलों में कान के भीतर तरल पदार्थ जमा होने लगता है, जो संक्रमण, कान बहना और सुनने में कठिनाई जैसी समस्याओं को जन्म देता है। इस दौरान व्यक्ति को कान में सीटी जैसी आवाजें सुनाई दे सकती हैं, चक्कर आ सकते हैं या अस्थायी रूप से सुनने की क्षमता कम हो सकती है। इस समस्या से बचाव के लिए नाक में नमी बनाए रखना जरूरी है। भाप लेना, सलाइन वॉटर का उपयोग करना, दिनभर पर्याप्त पानी पीना और शुद्ध घी या तिल का तेल नाक पर लगाना लाभकारी होता है। आयुर्वेद में अणु तेल और षडबिंदु तेल का उल्लेख मिलता है, जिनकी प्रतिदिन 2-2 बूंदें नाक में डालने से नमी बनी रहती है और एलर्जी जैसी समस्याओं से भी बचाव होता है। वहीं, प्रदूषित और धूलभरे इलाकों में जाते समय मास्क पहनना भी उपयोगी है। अगर नाक सूखने की वजह से कानों में लगातार दबाव, दर्द या सुनने की समस्या बनी रहती है, तो तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। ऑडियोमेट्री और एंडोस्कोपी जैसे परीक्षणों से स्थिति स्पष्ट हो सकती है। समय रहते इलाज न कराने पर यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। सुदामा/ईएमएस 25 सितंबर 2025