भोपाल(ईएमएस)। छिंदवाड़ा में खांसी के सिरप से कई बच्चों की जान चली गई। इस मामले में पुलिस ने देर रात डॉ प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया। डॉक्टर पर आरोप है कि इन्होंने जो दवा लिखी है उसी से अधिकांश बच्चों की जान गई है। यहां सवाल ये भी उठ रहा है कि डॉक्टर दवाएं लिखता है तो उसे पता नहीं होता है कि ये असली है या नकली। नकली दवाओं का नकेल कसना सरकार का काम है। यही बात डॉ सोनी ने गिरफ्तारी के दौरान गुस्से में कही, उन्होंने कहा कि डॉक्टर का काम दवा लिखना है। दवा असली है या नकली, यह देखना सरकार का काम है। उनका यह बयान विवाद को और हवा दे रहा है। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं और दवा वितरण प्रणाली में खामियों को उजागर किया है। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है, और जनता में दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ रही है। जांच के नतीजे और दोषियों पर कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है। डॉ सोनी, जो परासिया के सिविल अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ हैं, उस समय 15 दिन के अवकाश पर थे और अपने निजी क्लीनिक में बच्चों का इलाज कर रहे थे। खास बात यह है कि उनके क्लीनिक के ठीक बगल में उनकी पत्नी अपना मेडिकल नाम से मेडिकल स्टोर चलाती हैं, जहां से ये दवाइयां बेची गई थीं। इस मामले ने स्थानीय समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा किया है, क्योंकि दवाइयों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। यह कार्रवाई एक दवा निर्माता कंपनी और डॉ सोनी के खिलाफ दर्ज दो अलग-अलग मामलों में हुई। मामला बच्चों के उपचार में इस्तेमाल किए गए कफ सिरप से जुड़ा है, जिसके कारण कथित तौर पर नौ बच्चों की किडनी इन्फेक्शन से मृत्यु हो गई। इनमें से सात बच्चों का इलाज डॉ सोनी के निजी क्लीनिक में हुआ था, जहां उन्हें कोल्डरिफ और नेस्ट्रो डीएस दवाइयां दी गई थीं।पुलिस जांच में पता चला कि अलग-अलग अस्पतालों में 14 अन्य बच्चे, जिन्हें यही दवाइयां दी गई थीं, अभी भी इलाजरत हैं। इन दवाइयों को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं, और एक दवा निर्माता कंपनी पर भी कार्रवाई की गई है। इस कंपनी को 14 बच्चों की मौत के लिए कथित रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है। जांच में यह भी सामने आया कि डॉ सोनी ने बच्चों के उपचार में इन कफ सिरप की सिफारिश सबसे अधिक की थी। वीरेंद्र/ईएमएस/05अक्टूबर2025