सामुदायिक विकास और शिक्षा में सुधार के लिए रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित गांधीवादी व्यक्तित्व के धनी, पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पिछले करीब 10 दिनों से जोधपुर की सेन्ट्रल जेल में कैद हैं। दरअसल, 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा भड़काने के आरोप में 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत वांगचुक को पुलिस ने हिरासत में लिया था। बाद में प्रशासन ने लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग करने वाले जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को हिंसक विरोध प्रदर्शन को भड़काने और देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। आमिर खान की सुपरहिट फिल्म 3 इडियट्स के फुंगसुक वांगडू का किरदार सोनम वांगचुक से ही प्रेरित था। लद्दाख की बर्फीली वादियों से निकलकर पूरी दुनिया में शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण का परचम लहराने वाले सोनम वांगचुक आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। 3 इडियट्स के फुंगसुक वांगडू से अलग असल जिंदगी में वे एक दूरदर्शी इंजीनियर, शिक्षा सुधारक और पर्यावरण योद्धा हैं। ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि जिस व्यक्ति को नवाचार, शिक्षा में सुधार, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के लिए देश दुनिया में 17 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हो, वह व्यक्ति अचानक देशद्रोही और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा कैसे बन गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन और जोधपुर सेन्ट्रल जेल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। जाहिर है, तब तक सोनम वांगचुक जेल में रहेंगे। वांगचुक की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए याचिका उनकी जीवन संगिनी गीतांजलि अंगमो ने दाखिल की है। याचिका में अनुच्छेद 32 के तहत दावा किया था कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध है। उन्होंने सोनम की गिरफ्तारी की वजह पूछी है। दरअसल, लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर सोनम वांगचुक ने 35 दिनों के धरने का एलान किया था। 10 सितंबर से सोनम वांगचुक और लद्दाख एपेक्स बॉडी के 15 कार्यकर्ता भूख हड़ताल पर थे। यह भूख हड़ताल पूरी तरह शांतिपूर्ण और अहिंसक था। इस बीच अनशनकारियों की हालत बिगड़ने लगी। 24 सितंबर को अनशनकारियों के समर्थन में स्थानीय नागरिकों और लद्दाख एपेक्स बॉडी के समर्थकों ने रैली निकाली थी। रैली मं शामिल युवाओं ने भाजपा व हिल काउंसिल के मुख्यालय में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस व सुरक्षाबलों ने बल का प्रयोग किया। देखते ही देखते प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच पथराव शुरू हो गया। प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय भाजपा कार्यालय में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। पथराव और गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि सरकारी आंकड़ों में 80 लोग घायल हो गए। घटना के बाद सोनम वांगचुक ने अपना अनशन समाप्त कर दिया। उन्होंने लोगों से शांति बहाल करने की अपील की। 26 सितंबर को सोनम इसी मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे। इसी बीच लद्दाख प्रशासन ने उन्हें हिरासत में ले लिया। अगले दिन उन्हें गिरफ्तार कर जोधपुर सेन्ट्रल जेल में बंद कर दिया गया। प्रशासन का कहना है कि राज्य की सुरक्षा के लिए सोनम वांगचुक की गतिविधियां हानिकारक हैं। उन्होंने युवाओं को हिंसा के लिए उकसाया और उन्हें शांत करने के लिए कोई पहल नहीं की। यही नहीं, उनके संबंध पाकिस्तान से हैं और विदेशी फंडिंग के बल पर वह लद्दाख में अस्थिरता फैलाने में संलग्न थे। जबकि कहा जाता है कि 24 सितंबर को अपना अनशन समाप्त करते हुए एक वीडियो संदेश में सोनम वांगचुक ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। उन्हें अंदेशा हो गया था कि पुलिस उनपर कार्रवाई करेगी। इसीलिए उन्होंने 26 सितंबर को पूरे मामले की जानकारी देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। दिल्ली में मीडिया से बातचीत में सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने बताया कि यह सही है कि सोनम फरवरी 25 में पाकिस्तान गए थे। वहां उन्हें पाकिस्तान की मीडिया हाउस डॉन समूह ने जलवायु परिवर्तन सम्मलेन में बुलाया था। वह सरकार से अनुमति और वीजा लेकर पाकिस्तान गए थे और प्रधानमंत्री की जलवायु परिवर्तन पर किये गए प्रयास और पहल की सराहना की थी। उसका वीडियो और मीडिया रिपोर्ट है। जहां तक विदेशी फंडिंग की बात है तो वास्तविकता है कि खाद्य संप्रभुता और सुरक्षा पर अध्ययन के लिए मिली स्वीडिश अनुदान सरकार की मंजूरी के बाद ही ग्रहण किया गया था। तब सरकार ने इसे गलत नहीं माना था। अब सरकार और प्रशासन रस्सी को सांप बनाने पर तुले हैं। गीतांजलि कहती हैं कि सोनम की गिरफ्तारी में राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा अथवा देशद्रोह जैसी कोई बात नहीं है। यह एक सामाजिक कार्यकर्ता को चुप कराने की चाल है। उन्होंने कहा कि मेरे पति तो गांधीवादी तरीके से ही अनशन कर रहे थे। यह संवैधानिक अधिकार है। वह बोलने का हक रखते हैं। उनकी गिरफ्तारी संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत जाने से पहले गीतांजलि अंगमो ने लेह के जिला कलेक्टर, लद्दाख के उप राज्यपाल कवीन्द्र गुप्ता, कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सोनम वांगचुक को न्याय दिलाने की मांग की थी। उधर, जोधपुर जेल में बंद सोनम वांगचुक ने अपने अधिवक्ता मुस्तफा हाजी और भाई त्सेतन दोरजे ले के हाथों पत्र भेजकर लेह हिंसा की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि ‘जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। मैं घायलों और गिरफ्तार लोगों के लिए प्रार्थना करता हूं। 4 लोगों की मौत की जांच एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग से होनी चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता, मैं जेल में ही रहूंगा।‘ बता देना जरूरी है कि सोनम वांगचुक ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। सोनम वांगचुक को सरकारी स्कूल व्यवस्था में सुधार लाने के लिए सरकार, ग्रामीण समुदायों और नागरिक समाज के सहयोग से 1994 में ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख’ के तहत ‘ऑपरेशन न्यू होप शुरू करने का श्रेय भी प्राप्त है। सोनम ने बर्फ-स्तूप तकनीक का आविष्कार किया है जो कृत्रिम हिमनदों (ग्लेशियरों) का निर्माण करता है, शंकु आकार के इन बर्फ के ढेरों को सर्दियों के पानी को संचय करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बहरहाल, सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से देश के बुद्धिजीवी वर्ग में असंतोष है। सरकार और सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान लेना चाहिए। यही देश और समाज के हित में है। ईएमएस / 07 अक्टूबर 25