राज्य
11-Oct-2025
...


पावन वर्षा योग 2025 सीहोर (ईएमएस)। प्रत्येक जीव का लक्ष्य होता है सुख को प्राप्त करने का। लेकिन सुख के स्थान का ज्ञान नहीं होने के कारण संसारी पर पदार्थ में सुख ढूंढने की कोशिश अनन्त काल से करता आ रहा है। लेकिन उसका लक्ष्य अभी भी बाहर ही है । सुख अपने पास ही रहता है। इसका ज्ञान नहीं होने के कारण पुद् गल के द्वारा सुख मानने की कोशिश करता रहा है उक्त अमृत वाणी मुनिश्री अक्षय सागर जी महाराज ने श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए छह ढाला वाचन करते हुए प्रवचन में विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य गुरु महाराज कहते थे दूसरे से अपेक्षा रखना ही अपनी आत्मा को पराधीन करना है। और जो व्यक्ति कर लेता हैं वह पराधीन हों जाता है। और पराया हो जाता है पर पदार्थ में ही रहता है इसीलिए तीसरी ढाल के प्रारंभ में बताकर आए हैं। आत्मा का हित सुख में है। और सुख प्राप्त करने का स्थान मोक्ष में है। और उसके साधन सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र है। इसलिए कल बताया था कि देव जिनेन्द्र गुरु परिग्रह बिन , धर्म दयाजुत सारो। येहू मान समकित को कारन अष्ट अंग जुत धारों । यहां सम्यक दर्शन हमारा कर्तव्य होता है कि हमारी जितनी भी चर्या है सम्यक्वाचरण होना चाहिए। अष्ट पाश में दो प्रकार के चारित्र बताएं सम्यक्वाचरण चारित्र और स्वरुपाचर चारित्र जों सम्यक के योग्य आचरण करता है सम्यक्वाचरण बोलते हैं। देव पूजा गुरु उपासना स्वाध्याय, संयम,तप और दान ये सम्यक की उपलब्धि के लिए अर्थात धर्म में स्थिर रहने के लिए क्रिया करने के लिए कहा है मुनिश्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि चातुर्मास में वर्षा के कारण नदी में बाढ़ आ जाती है और बाढ़ आने के कारण पानी क्या हो जाता है गंदा हो जाता है ‌। लाल लाल पानी दिखता है। अपने को और अन्य समय में बारिश बंद होते ही जों पात्र से बाहर पानी आया था वो सब क्या होता है अपने पात्र में अधिक होता है? अपने पात्र में ही पानी बहना शुरू हो जाता है। तब वो पानी निर्मल रहता है। उसी वक्त क्या पानी रहता है? नदी का निर्माण हैं। उसी तरह चातुर्मास में इतने त्योहार आते हैं। तों ये त्यौहार करते करते बाहर के त्यौहार का थोड़ा थौड़ा सा प्रभाव पड़ जाता है। इसलिए हमारा सम्यक दर्शन मन होने की पूरी संभावना रहतीं हैं इसलिए सावधान रहने को कहा है।कि धर्म जैसे चोक में रखा हुआ दीपक कहा से हवा का दीपक बुझेगा कह नहीं सकते उसी तरह अपना सम्यक दर्शन रुपी दीपक की क्या करना पड़ेगी सुरक्षा करना पड़ेगा नहीं तो आपका दीपक बुझने की पूरी संभावना बनेगी और इसीलिए ऐसे सम्यक दर्शन जो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए क्योंकि हम लोग इसे लेते हुए हमारे पास सम्यक दर्शन नहीं था पंचम काल में सम्यक दर्शन के साथ जन्म नहीं होता। किस के साथ होता है मिथ्या के साथ होता है। प्रवचन के पश्चात जिनवाणी स्तुति का श्रावक श्राविकाओ ने गायन किया। दोपहर में स्वाध्याय धार्मिक शिक्षण कक्षा में श्रद्धालुओ ने ज्ञानार्जन किया। संध्या को गुरु भक्ति संगीत मय महाआरती भजन कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण किया। विमल जैन, 11 अक्टूबर, 2025