दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने की घोषणा नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली में कानून का शिकंजा अब और सख्त करने की तैयारी है। राजधानी की तीन विशेष अदालतें, जो पहले केवल मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ बाल अधिकारों और यौन अपराधों से जुड़े मामलों की सुनवाई करती थीं, अब पूर्व सांसदों और विधायकों को भी अपने दायरे में लाएगी। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के कार्यालय ने इसकी घोषणा की, इस घोषणा ने कानूनी हलकों में हलचल मचा दी है। राउज एवेन्यू कोर्ट में मौजूद ये तीन विशेष अदालतें बाल संरक्षण अधिकार आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई के लिए बनाई गई थीं। लेकिन अब दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को एलजी की मंजूरी मिलने के बाद अदालतों का दायरा बढ़ गया है। यानी, अब चाहे मौजूदा नेता हों या रिटायर्ड, अगर उन पर बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन या यौन अपराध से जुड़ा कोई आरोप है, तब इन अदालतों से उनकी जवाबदेही तय होगी। एलजी कार्यालय के मुताबिक, इन तीन अदालतों को जुलाई 2023 में सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों के लिए बनाया था। यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट के 2020 के निर्देश के बाद हुआ था। लेकिन, पिछली केजरीवाल सरकार ने अधिसूचना को तीन साल से ज्यादा समय तक लटकाए रखा। अब जाकर इस दिशा में कदम उठाया गया है, जिसे कानूनी विशेषज्ञ एक बड़ा बदलाव मान रहे हैं। दिल्ली में पहले से ही आठ अन्य अदालतें बच्चों के खिलाफ अपराधों, बाल अधिकारों के उल्लंघन और पॉक्सो एक्ट के तहत मामलों की सुनवाई कर रही हैं। इन तीन नई विशेष अदालतों के दायरे के विस्तार से न केवल मुकदमों की सुनवाई में तेजी आएगी, बल्कि नेताओं चाहे वे मौजूदा हों या पूर्व के खिलाफ जवाबदेही सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढांचे को और मजबूत करेगा। आशीष दुबे / 16 अक्टूबर 2025