17-Oct-2025
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भारत की लॉजिस्टिक्स लागत दिसंबर तक घटकर एकल अंक में आ जाएगी नई दिल्ली (ईएमएस) ।केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट (परिवहन लागत) इस साल दिसंबर तक सिंगल डिजिट यानी 9 प्रतिशत तक आ जाएगी। उन्होंने बताया कि यह कमी देशभर में तेजी से बन रहे एक्सप्रेसवे और आर्थिक गलियारों (इकोनॉमिक कॉरिडोर्स) की वजह से संभव हो पाई है। गडकरी एसोचैम वार्षिक सम्मेलन 2025 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आईआईटी चेन्नई, आईआईटी कानपुर और आईआईएम बंगलूरू की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट पहले 16 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 10 प्रतिशत रह गई है। नितिन गडकरी ने कहा कि दिसंबर तक यह लागत 9 प्रतिशत तक आ जाएगी। इससे भारत का उद्योग और निर्यात दोनों और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि इससे हमारे उद्योग को 100 प्रतिशत फायदा होगा। दुनिया से तुलना में भारत की प्रगति उन्होंने बताया कि लॉजिस्टिक्स कॉस्ट अमेरिका और यूरोप में करीब 12 प्रतिशत, जबकि चीन में 8-10 प्रतिशत के बीच है। ऐसे में भारत भी अब इन देशों के बराबर पहुंचने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर को लेकर बड़ा लक्ष्य गडकरी ने भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में हमारा लक्ष्य है कि भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री दुनिया में नंबर 1 बने। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मंत्रालय संभाला था, तब भारतीय ऑटो इंडस्ट्री का आकार 14 लाख करोड़ रुपये था, जो अब बढक़र 22 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह सेक्टर आज 4 लाख युवाओं को रोजगार दे रहा है और केंद्र व राज्य सरकारों को सबसे ज्यादा जीएसटी भी यही उद्योग देता है। वर्तमान में अमेरिका की ऑटो इंडस्ट्री का आकार 78 लाख करोड़ रुपये, चीन का 47 लाख करोड़ रुपये, और भारत का 22 लाख करोड़ रुपये है। ईंधन आयात पर निर्भरता घटाने की जरूरत गडकरी ने कहा कि भारत की फॉसिल फ्यूल (तेल और गैस) पर निर्भरता देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ डाल रही है। क्योंकि हर साल करीब 22 लाख करोड़ रुपये सिर्फ ईंधन आयात में खर्च होते हैं। इसके साथ ही यह पर्यावरण प्रदूषण का भी बड़ा कारण है। इसलिए अब देश के लिए क्लीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) अपनाना बहुत जरूरी हो गया है। कृषि क्षेत्र को जीडीपी का इंजन बनाने की जरूरत मंत्री ने कहा कि अगर भारत को तेजी से आगे बढ़ाना है, तो कृषि क्षेत्र पर ध्यान देना होगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने कॉर्न (मक्का) से बायो-इथेनॉल बनाने की अनुमति दी थी, जिससे किसानों की कमाई में भारी इजाफा हुआ है। पहले मक्का की कीमत 1,200 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो अब बढक़र 2,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। इस फैसले से उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों को 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हुई है। दोनों राज्यों में मक्का की खेती अब तीन गुना बढ़ गई है, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को सीधा फायदा हुआ है। गडकरी ने कहा कि उद्योग जगत को भी कृषि पर ध्यान देना चाहिए कि हमें कृषि में नई तकनीक, नवाचार और शोध पर ध्यान देना होगा, ताकि कृषि विकास दर बढ़ाई जा सके। कृषि के बिना आत्मनिर्भर भारत बनाना संभव नहीं है।