ज़रा हटके
18-Oct-2025
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वॉशिंगटन (ईएमएस)। अभिभावकों की बच्चों के साथ सोने की आदत कई लाभ देती है, जैसे बेहतर नींद, डर और अकेलेपन की कमी, माता-पिता के साथ मजबूत भावनात्मक बंधन और छोटे बच्चों के लिए स्तनपान को आसान बनाना। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को जन्म के शुरुआती छह महीने से लेकर दो साल तक माता-पिता के कमरे में रखना चाहिए, लेकिन अलग पालने (क्रीब) में सोने देना चाहिए। यह तरीका बच्चों में सुरक्षा का एहसास पैदा करता है और अचानक शिशु मृत्यु (सिडस) के खतरे को कम करता है। यह अवधि बच्चों के लिए सबसे संवेदनशील मानी जाती है, क्योंकि इस समय उनकी नींद में व्यवधान, डर या अकेलेपन की भावना उनकी स्वास्थ्य और विकास को प्रभावित कर सकती है। दो साल से पांच साल तक के बच्चे अक्सर माता-पिता के पास सोना पसंद करते हैं। इस उम्र में बच्चों के लिए माता-पिता की उपस्थिति उन्हें भावनात्मक सुरक्षा और आत्मविश्वास देती है। हालांकि, पांच साल की उम्र के बाद बच्चे धीरे-धीरे अलग सोने की आदत डालना शुरू कर सकते हैं। इससे उनमें आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता की भावना विकसित होती है। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि हर बच्चे की जरूरत अलग होती है। कुछ बच्चे जल्दी ही अलग सोने के लिए तैयार हो जाते हैं, जबकि कुछ को लंबे समय तक माता-पिता के पास रहने की जरूरत होती है। बच्चों के साथ सोने की आदत केवल सुरक्षा और सुकून देने का माध्यम नहीं है, बल्कि इसे सही समय पर बदलना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों के साथ सोने और उन्हें अलग करने के बीच संतुलन बना रहे। यह संतुलन बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास में मदद करता है। सही ढंग से अपनाई गई को स्लीपिंग आदत बच्चों के लिए सुरक्षा, प्यार और आत्मविश्वास का जरिया बनती है। साथ ही यह माता-पिता को भी मानसिक शांति और अपने बच्चे के स्वास्थ्य और विकास पर निगरानी रखने का अवसर देती है। सुदामा/ईएमएस 18 अक्टूबर 2025