ज़रा हटके
18-Oct-2025
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-उत्तराखंड में जंगलों में गश्त तेज, सभी फील्ड स्टाफ की विभाग ने छुट्टियां की रद्द हल्द्वानी,(ईएमएस)। दीपावली आते ही उत्तराखंड के जंगलों में उल्लुओं की जान पर खतरा मंडराने लगा है। मां लक्ष्मी के वाहन माने जाने वाले उल्लू को लेकर अंधविश्वास और तांत्रिक मान्यताओं के कारण तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। माना जाता है कि दीपावली पर तंत्र साधना या सिद्धि पाने उल्लू की बलि देने से धन मिलता है। इस अंधविश्वास के चलते हर साल दीपावली से पहले उल्लुओं के शिकार और अवैध व्यापार की घटनाएं बढ़ जाती हैं। तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी समेत राज्यभर में वन विभाग ने अलर्ट जारी किया है। विभाग ने जंगलों में गश्त तेज कर दी है और सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। डीएफओ ने बताया कि दीपावली पर प्रतिबंधित वन्यजीवों की तस्करी की आशंका ज्यादा होती है, इसलिए सभी वनकर्मियों को 24 घंटे की निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि दिखने पर तत्काल रिपोर्ट करने को कहा गया है। ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक उल्लू की बलि देना महापाप है। उन्होंने कहा कि उल्लू मां लक्ष्मी का वाहन है, इसलिए उसकी हत्या से देवी कभी प्रसन्न नहीं होतीं। यह सिर्फ अंधविश्वास है, जो पुण्य के नाम पर पाप किया जाता है। दिवाली के समय कई तांत्रिक दावा करते हैं कि उल्लू के पंख, नाखून, चोंच या आंख से तंत्र साधना करने पर धन की प्राप्ति होती है। इस झूठे अंधविश्वास में लोग इन पक्षियों की तस्करी करते हैं। पिछले कुछ सालों में दिवाली से पहले उल्लू की अवैध बिक्री का बड़ा नेटवर्क सक्रिय हो जाता है। तंत्र-मंत्र के लालच में इनकी कीमत एक लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक लगाई जाती है। सबसे ज्यादा डिमांड “पांच पंजे वाले” और “ढाई किलो वजन वाले” उल्लुओं होती है। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक यूपी, एमपी, राजस्थान और बंगाल से लेकर अब उत्तराखंड तक इनकी तस्करी होती है। तस्कर इन्हें जंगलों से पकड़कर तांत्रिकों और कुछ उच्चवर्गीय लोगों तक पहुंचाते हैं। सिराज/ईएमएस 18 अक्टूबर 2025