लेख
21-Oct-2025
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बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के दलों के नाटकीय हालात में, पहले एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ लड़ने का दावा करने वाला इंडिया ब्लॉक अब गड़बड़ी और भ्रम के एक हास्यास्पद तमाशे में तब्दील हो गया है l चुनाव के पहले चरण के करीब आते ही माहौल एनडीए के खिलाफ कड़े मुकाबले का नहीं बल्कि ऐसे फ्रेंडली फाइट्स का बन गया जो इस गठबंधन की नींव को ही कमजोर कर रहे हैं l इस राजनीतिक नाटक में इंडिया ब्लॉक में मौजूद इस अव्यवस्था से फायदा एनडीए होगा l अभी कुछ दिनों से एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर दिल्ली से लेकर पटना तक उठापटक चल ही रही है, हालांकि पटना पहुंचकर अमित शाह ने मामले को सुलझा लिया है, भले ही भाजपा के सहयोगी दल नाराज़ हों परंतु भाजपा को डैमेज कन्ट्रोल आता है, जो कांग्रेस को बिल्कुल भी नहीं आता l यहाँ इन्डिया गठबंधन में भी सीट शेयरिंग का फार्मूला तय हो पाया या नहीं कहना बड़ा कठिन है, क्योंकि कई सीटों पर आरजेडी ने कांग्रेस के विरुद्ध उम्मीदवारों को उतार दिया है l खबर ऐसी भी चल रही है कि लालू यादव और तेजस्वी ने कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ ही अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है l एक तरफ इंडिया गठबंधन बिहार में परिवर्तन के नाम पर हुंकार भर रहा था तो दूसरी तरफ अभी तक आरजेडी एवं कांग्रेस के बीच आपसी समन्वय स्थापित नहीं हो पाया है, जबकि चुनाव में 20 दिन से भी कम समय बचा हुआ है l ऐसे आपसी कलह के बाद मोदी - शाह एवं ताकतवर भाजपा से विजयी होना तो दूर की बात है, फ़िलहाल पार पाना इन्डिया गठबंधन के लिए अभी बड़ा मुश्किल सा लग रहा है l महागठबंधन में जब नीतीश कुमार साथ थे तब आरजेडी की भूख कम थी, तब कम सीटों पर भी चुनाव लड़कर आरजेडी संतुष्ट थी, अब तो जेडीयू महागठबंधन को छोड़कर एनडीए में है तो आरजेडी की भूख और बढ़ गई है या यूं कहिए पिछले चुनावों में ज़्यादा सीटें मिल जाने का उत्साह जो कम होने का नाम नहीं ले रहा l आरजेडी को सोचना चाहिए कि उनका मुकाबला ताकतवर भाजपा से है l कांग्रेस खुद के लिए बिहार में कुछ नहीं कर पा रही बल्कि प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष आरजेडी का सहयोग ही कर रही है l कांग्रेस के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कांग्रेस की हालत बिहार में बेहद ख़राब है, न तो बिहार में कांग्रेस के नेता दिखाई दे रहे हैं और न ही कांग्रेस के कार्यकर्ता l बिहार में कांग्रेस के पास कार्यकर्ता हैं भी या नहीं ये भी बड़ा प्रश्न है l कांग्रेस पार्टी बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों की पिछलग्गू पार्टी बनकर रह गई है l भाजपा की तुलना में कांग्रेस आज बेहद दयनीय स्थिति में दिखाई दे रही है l  अब तो ख़बरें आ रहीं हैं कि बिहार कांग्रेस के नेताओं और आरजेड़ी के नेताओं में बातचीत बंद हो गई है जिसकी ख़बर पटना से लेकर दिल्ली तक तैर रही है l कई सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी के प्रत्याशी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं l ऐसी स्थिति में एनडीए के नेता भी महागठबंधन पर तंज कस रहे हैं औऱ एनडीए की एकता की बात कह रहे हैं l चुनावी मैदान में कई सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं l दोनों के प्रत्याशी आमने-सामने हैं l कांग्रेस के नेताओं का यह मानना है कि जब गठबंधन है तो ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई? कांग्रेस के नेताओं का मानना है की अब आरजेडी को फैसला लेना है कि वह क्या अपने उम्मीदवारों का नॉमिनेशन वापस लेंगे या फिर एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे l यानी कांग्रेस ने अपना रुख साफ कर दिया है कि वह पीछे हटने के मूड में नहीं है l आरजेडी को अपने उम्मीदवार को वापस लेना हो तो ले नहीं तो फिर एक दूसरे के खिलाफ ही चुनाव लड़ेंगे l खूब ख़बरें चल रहीं हैं कि लालू यादव और तेजस्वी ने कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ ही अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है l गठबंधन होने के बावजूद सीटों का फार्मूला तय होने के बाद भी कांग्रेस के खिलाफ़ उम्मीदवार उतार देना, गठबंधन धर्म तो दूर की बात है, कांग्रेस के कार्यकर्ताओ का मनोबल गिराने एवं कांग्रेस के आत्मसम्मान को चुनौती देने वाला कदम है l हालांकि इसमे लालू यादव एवं तेजस्वी को दोषारोपण करने की बजाय कांग्रेस को अपना कुनबा मजबूत करना चाहिए l जब तक कार्यकताओं में जोश, आत्मसम्मान नहीं होगा, तब तक पार्टी खड़ी नहीं हो सकती l अब तेजस्वी यादव एवं लालू यादव भले ही अपने कुनबे को विस्तार दे रहे हैं, परंतु इन्डिया गठबंधन की अब तक की तैयारियों पर पानी फेरने के बाद इंडिया गठबंधन एनडीए की तुलना में पिछड़ता हुआ दिखाई दे रहा है, चूंकि आपसी कलह कभी राजनीति सफ़लता का पर्याय नहीं हो सकता l इंडिया का कलह एनडीए के लिए सुनहरा अवसर बन सकता है चूंकि चुनाव में समय कम ही शेष है l ईएमएस / 21 अक्टूबर 25