नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत वैश्विक सेवा निर्यात के क्षेत्र में तेजी से अग्रणी स्थान की ओर बढ़ रहा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के अनुसार देश का सेवा निर्यात 14.8 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है, जो वस्तु निर्यात की तुलना में कहीं अधिक है। यह प्रगति तकनीकी नवाचार, संरचनात्मक सुधारों और जनसांख्यिकीय लाभ का परिणाम मानी जा रही है। वर्तमान में भारत की वैश्विक सेवा निर्यात में हिस्सेदारी 4.3 फीसदी है, जिससे वह दुनिया में सातवें स्थान पर पहुंच गया है। टेलीकॉम, आईटी और बिजनेस सेवाएं कुल सेवा निर्यात का लगभग 75 फीसदी योगदान देती हैं। अकेले टेक्नोलॉजी सेवा निर्यात ने वित्त वर्ष 2024-25 में 200 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है। भारत अब ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। वित्त वर्ष 2019 में इनकी संख्या 1,430 थी, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 1,700 हो गई और वित्त वर्ष 2030 तक इसके 2,200 तक पहुंचने की उम्मीद है। इन केंद्रों में लगभग 26 लाख पेशेवर कार्यरत होंगे। इस प्रगति के पीछे जीएसटी, आईबीसी, रेरा, कॉर्पोरेट टैक्स कटौती, सरल श्रम कानून जैसे अनेक संरचनात्मक सुधार जिम्मेदार हैं। सतीश मोरे/21अक्टूबर ---