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22-Oct-2025
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2027 के यूपी चुनाव के लिए चंद्रशेखर आजाद की काट तैयार कर रही बहनजी लखनऊ,(ईएमएस)। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और पूर्व सीएम मायावती ने पार्टी के भविष्य को मजबूत करने के लिए एक नई रणनीति लागू कर रही है। लखनऊ में हाल ही में आयोजित विशाल रैली से उत्साहित मायावती ने पिछले दो रविवारों में पार्टी पदाधिकारियों की लगातार दो महत्वपूर्ण बैठकें की। इन बैठकों में मायावती के भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद भी मौजूद रहे। मायावती ने पदाधिकारियों से स्पष्ट निर्देश दिए कि “जैसे उन्होंने मेरा साथ दिया है, वैसे ही अब आकाश का भी साथ दें। यह बयान बसपा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर मायावती का आकाश को आगे करना भविष्य की राजनीति का इशारा है। लखनऊ की हालिया रैली में हजारों समर्थकों की मौजूदगी ने मायावती को नई ऊर्जा दी है। रैली के बाद उन्होंने तुरंत संगठनात्मक स्तर पर कदम उठाए। पहली बैठक में आकाश आनंद को पार्टी के युवा नेतृत्व के रूप में पेश किया, जबकि दूसरी बैठक में पदाधिकारियों को उनके प्रति वफादारी का संदेश दिया। बसपा सूत्रों के अनुसार, मायावती ने कहा कि अब समय आ गया है कि पार्टी का हर स्तर आकाश के साथ खड़ी दिखाई दे। यह रणनीति 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। बसपा का कोर वोटबैंक दलित समुदाय है, जो करीब उत्तप्रदेश में 22 प्रतिशत है, लेकिन हाल के चुनावों में यह वोट सपा, भाजपा और आजाद समाज पार्टी (एएसपी) की ओर बंट गया। मायावती का यह कदम आकाश को न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में पार्टी का चेहरा बनाने का प्रयास है। आकाश ने पहले भी झारखंड, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में चुनावी जिम्मेदारियां संभाली हैं, जहां उन्होंने युवा दलितों को जोड़ने पर फोकस किया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मायावती की यह रणनीति पश्चिमी यूपी में चंद्रशेखर आजाद के उभरते कद को काउंटर करने की है। चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में नगीना सीट पर भारी जीत हासिल की, जहां उन्होंने बसपा के पारंपरिक वोटबैंक में सेंधमारी शुरु की। भीम आर्मी से निकले चंद्रशेखर युवा दलितों, खासकर गैर-जाटव समुदायों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। पश्चिमी जिलों जैसे बिजनौर, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में उनकी रैलियां भारी भीड़ खींच रही हैं। मायावती ने आकाश को इसी इलाके में सक्रिय करने की योजना तैयार की है। आकाश की आक्रामक भाषण शैली और युवा अपील चंद्रशेखर से मिलती-जुलती है, जो बसपा के लिए एक मजबूत जवाब हो सकती है। एक वरिष्ठ बसपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “चंद्रशेखर का प्रभाव दलित युवाओं को खींच रहा है, लेकिन आकाश के नेतृत्व में हम जाटव और अन्य दलित उपजातियों को एकजुट करने वाले है। मायावती जी की रणनीति साफ है। बात दें कि आकाश आनंद की बसपा में भूमिका उतार-चढ़ाव वाली रही है। 2023 में मायावती ने उन्हें उत्तराधिकारी घोषित किया, लेकिन 2024 में कुछ भाषणों को लेकर विवाद के बाद उन्हें हटाया। फिर जून 2024 में उनकी री-एंट्री हुई, जब चंद्रशेखर की नगीना जीत ने बसपा को हिला दिया। मई 2025 में मायावती ने आकाश के लिए ‘राष्ट्रीय संयोजक’ का नया पद सृजित किया, जो मायावती के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली पद है। यह कदम पार्टी के युवा कैडरों के दबाव और घटते जनाधार को देखकर उठाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि आकाश यदि चंद्रशेखर की अपील को चुनौती दे पाए, तब बसपा का सिकुड़ता वोटबैंक स्थिर हो सकता है। आशीष दुबे / 22 अक्टूबर 2025