ज़रा हटके
28-Oct-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेदिक औषधी शीतल चीनी शरीर को भीतर से मजबूत बनाकर रोगों से बचाने का काम करती है। यह औषधि शरीर की कार्यप्रणाली को संतुलित रखने के साथ-साथ वात, पित्त और कफ इन तीनों दोषों को नियंत्रित करती है। आयुर्वेद की प्राचीन और प्रभावशाली औषधियों में से एक शीतल चीनी आज भी अपनी उपयोगिता साबित कर रही है। बदलते मौसम में बुखार, सर्दी-जुकाम, सूजन, अपच और कमजोर इम्यूनिटी जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। नियमित रूप से इसका सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाता है, जिससे भोजन का पूरा पोषण शरीर को मिलता है और कमजोरी दूर होती है। शीतल चीनी प्राकृतिक रूप से एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर होती है, जो शरीर में होने वाली सूजन को कम करने में मदद करती है। इसके सेवन से बुखार, सिरदर्द और बदन दर्द जैसी मौसमी परेशानियों से भी राहत मिलती है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, शीतल चीनी मूत्र संबंधी विकारों और पाइल्स जैसी तकलीफों में भी राहत प्रदान करती है। यह न केवल आंतरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि बाहरी उपयोग में भी कारगर साबित होती है। तेल के रूप में इसका प्रयोग त्वचा की सूजन, जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के खिंचाव में राहत देता है। शीतल चीनी को चूर्ण के रूप में दूध या गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है, जबकि इसका काढ़ा बनाकर सेवन करने से शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा और स्फूर्ति मिलती है। यह औषधि शरीर को ठंडक और संतुलन प्रदान करती है, जिससे गर्मी, एसिडिटी और पित्त की अधिकता से जुड़ी समस्याओं में भी आराम मिलता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी आयुर्वेदिक दवा की तरह शीतल चीनी का सेवन भी सीमित मात्रा में और चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए। सही मात्रा में और उचित समय पर इसका सेवन न केवल रोगों से सुरक्षा देता है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाता है। सुदामा/ईएमएस 28 अक्टूबर 2025