अंतर्राष्ट्रीय
28-Oct-2025
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ढाका,(ईएमएस)। बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेज हो गई है। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने चटगांव में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया और इस्कॉन को चरमपंथी हिंदुत्व संगठन करार देते हुए इसे तत्काल बैन करने की अपील की। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त में सामने आया है, जब हाल के महीनों में हिंदू अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों पर हमलों की खबरें लगातार सुर्खियों में रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चटगांव की रैली में शामिल वक्ताओं ने अंतरिम सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों या अल्पसंख्यकों पर हमले होते हैं तो मुख्य सलाहकार सोशल मीडिया पर फौरन प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन जब किसी इमाम या खातिब पर अत्याचार होता है, तो खामोशी छा जाती है। हिफाजत नेता अशरफ बिन याकूब ने साफ शब्दों में कहा, बांग्लादेश सरकार को इस्कॉन पर फौरन प्रतिबंध लगाना चाहिए। मौलाना याकूब ने वकील आलिफ की हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी और उनकी जमानत रद्द करने की भी मांग उठाई। गौरतलब है कि पिछले साल 26 नवंबर को चटगांव में पुलिस और इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें आलिफ की मौत हो गई थी। हिफाजत कार्यकर्ताओं ने शहर में जुलूस निकाला और इस्कॉन पर बैन लगाओ के नारे लगाए। उधर, ढाका में इंतिफादा बांग्लादेश ने भी प्रदर्शन किया और अंतरिम सरकार के सामने छह मांगें रखीं, जिनमें इस्कॉन पर प्रतिबंध, इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई और स्वतंत्र जांच प्रमुख थीं।अल कायदा से जुड़े अंसारुल्लाह बंग्ला टीम के नेता जसीमुद्दीन रहमानी ने इस्कॉन को हिंदू संगठन नहीं, बल्कि यहूदियों का चरमपंथी समूह बताया। उन्होंने कहा, यह संगठन लगातार अपराध कर रहा है। इस पर प्रतिबंध समय की जरूरत है। इंतिफादा के सदस्य अहमद रफीक ने एक इमाम के अपहरण और पिटाई का जिक्र करते हुए सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया। उनका कहना था कि इमाम ने इस्कॉन के खिलाफ बोलने की हिम्मत की तो उसे चेन से बांधकर पीटा गया, फिर भी सरकार आरोपियों को बचाने में लगी है। शेख हसीना की सरकार के अगस्त 2024 में गिरने के बाद इस्कॉन के खिलाफ विरोध की लहर तेज हो गई है। कई इस्कॉन मंदिरों और केंद्रों पर हमले हुए हैं। संगठन के प्रमुख नेता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को जेल में डाला गया है। जनवरी 2025 में बांग्लादेश फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने इस्कॉन के 17 सदस्यों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे। इन घटनाओं ने हिंदू समुदाय में दहशत पैदा कर दी है, जबकि कट्टरपंथी संगठन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बता रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाकर धार्मिक उन्माद भड़काया जा रहा है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय लगातार खतरे में हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/28अक्टूबर2025