अंतर्राष्ट्रीय
28-Oct-2025


बीजिंग(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वपूर्ण मुलाकात से ठीक पहले चीन ने कड़ी चेतावनी जारी की है। चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित आसियान सम्मेलन में कहा कि वैश्विक व्यापार को जंगल के कानून की ओर नहीं लौटने दिया जाएगा, जहां ताकतवर का दबदबा हो और कमजोर दबकर रहें। उन्होंने जोर दिया कि आर्थिक वैश्वीकरण और बहुध्रुवीयता अब अपरिवर्तनीय सत्य हैं, और किसी एक देश के एकतरफा फैसले वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल सकते हैं। ली का यह बयान स्पष्ट रूप से अमेरिकी संरक्षणवाद और ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियों पर निशाना साधता प्रतीत होता है। ली कियांग ने कहा, हमें मुक्त, निष्पक्ष और समावेशी व्यापार व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत करना होगा। एकतरफावाद और संरक्षणवाद अब नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं, जिससे पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र को गंभीर जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने चेताया कि दुनिया को उस दौर में वापस नहीं लौटना चाहिए जहां शक्तिशाली देश कमजोरों को कुचलते हों। यह बयान ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने की मुलाकात से पहले आया है, जो दक्षिण कोरिया में होने वाली है। इस बैठक को दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव को कम करने की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है। मुलाकात की पृष्ठभूमि में, ट्रंप के मलेशिया दौरे से पहले अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेफ बेशेंट और चीन के उप प्रधानमंत्री हे लिफेंग के बीच दो दिवसीय गहन वार्ता हुई। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों ने एक फ्रेमवर्क समझौता तैयार कर लिया है, जिसका उद्देश्य 1 नवंबर से लागू होने वाले 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ को टालना है। पिछली बातचीत को सकारात्मक बताया गया है और अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही नया व्यापारिक समझौता हो सकता है। ट्रंप वर्तमान में एशिया दौरे पर हैं। मलेशिया के बाद टोक्यो पहुंचकर उन्होंने सोमवार को कहा कि उन्हें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर पूरा भरोसा है कि दोनों नेता किसी समझौते तक पहुंच जाएंगे। विवाद की जड़ रूस से चीन का व्यापार है। चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, और अमेरिका इसे यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचने की मुख्य वजह मानता है। इसी आधार पर ट्रंप प्रशासन चीन पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दे रहा है, जिसे बीजिंग दादागिरी और धमकी के रूप में देखता है। चीन का रुख स्पष्ट है- वह अमेरिका की एकतरफा नीतियों को वैश्विक व्यवस्था के लिए खतरा मानता है। ली कियांग का बयान न केवल ट्रंप-शी मुलाकात के लिए माहौल तैयार करता है, बल्कि आसियान देशों को भी यह संदेश देता है कि चीन बहुपक्षीयता और मुक्त व्यापार का समर्थक बना रहेगा। दूसरी ओर, ट्रंप अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत दबाव बनाए रखना चाहते हैं। यह मुलाकात न केवल दोनों महाशक्तियों के बीच संतुलन तय करेगी, बल्कि वैश्विक व्यापार की दिशा को भी प्रभावित कर सकती है। वीरेंद्र/ईएमएस/28अक्टूबर2025