लेख
28-Oct-2025
...


- भारत से कौन सी दुश्मनी निकाल रहे हैं ट्रंप अमेरिका द्वारा एक बार फिर भारतीयों को बेड़ी और हथकड़ियों में जकड़कर भारत डिपोर्ट किया गया है। यह कृत्य मनोवैज्ञानिक संवेदनशीलता और मानवीय गरिमा दोनों के खिलाफ है। अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकारों, भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर भी यह कृत्य बहुत आपत्तिजनक है। सूचनाओं के मुताबिक कई युवा, बेहतर जीवन और रोज़गार की उम्मीद लेकर अमेरिका गए थे। ट्रंप प्रशासन द्वारा लगातार नियम और कानून को बदला जा रहा है, ऐसी स्थिति में ही उन्हें अमेरिका से बाहर निकाला जा रहा है। जिन लोगों को अमेरिका से भारत भेजा गया है, उनके साथ अमेरिका में हिंसक और अपमानजनक व्यवहार किया गय और फिर आतंकवादियों की तरह भारत वापस भेजा गया है। उनके हाथ-पैर जंजीरों में बन्धे हुये थे। इस स्थिति को लेकर युवा और उनके परिवारजन किस तरह से अपमानित और असहज महसूस कर रहे होंगे। इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। यह कार्यवाही साधारण नीतिगत कदम नहीं है। ट्रंप प्रशासन भारत के साथ जानबूझकर इस तरह की कार्यवाही कर रहा है। पहले भी इस तरह की कार्रवाई अमेरिका कर चुका है। भारत सरकार द्वारा विरोध दर्ज कराने के बाद भी यदि यही कार्रवाई बार-बार हो रही है तो यह भारत के लिए बड़ी चिंताजनक स्थिति है। कई वर्षों से चले आ रहे प्रवासन, मानव तस्करी और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की जटिल समस्या एक अलग बात है, लेकिन जो छात्र या अन्य लोग रोजी रोजगार के लिए गए हैं जो किसी अपराध में लिप्त नहीं थे उन्हें यदि इस तरीके से भारत वापस भेजा जाता है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। सबसे पहले, इसे मानवाधिकार के नजरिए से देखा जाना चाहिए। किसी भी नागरिक को, चाहे वह किसी भी देश का क्यों न हो। जब गिरफ्तार या डिपोर्ट किया जा रहा हो, तब उसके साथ इस तरह का व्यवहार, जिसमे भूख-प्यास, कई दिनों तक हिरासत में रखने और उत्पीड़न कर पीड़ित करने जैसे कृत्य अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के विरुद्ध हैं। आब्रजन नियमों के उल्लंघन में बच्चे, बूढे, युवा और महिलाओं को हिरासत में रखकर भोजन-जल तथा बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। वह हिरासत में शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना झेलते हैं। यह कानूनी कार्रवाई नहीं, मानवता पर चोट है। इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका की सरकार जानबूझकर भारत को अपमानित करने के लिए इस तरह से भारतीयों को परेशान कर रही है। भारत सरकार का दायित्व बनता है, वह अपने नागरिकों की गरिमा और सुरक्षा की निगरानी करे। विशेषकर उन लोगों की जो धोखे या एजेंटों के जाल में फँसकर पढ़ाई अथवा रोजगार के कारण अमेरिका जाते हैं। यह स्पष्ट है, आर्थिक विषमता, शिक्षा सीमापार रोजगार की लालसा, प्रवासन इसका मुख्य कारण है। विदेश में जाकर पढ़ाई और रोजगार करने के लिए कई परिवारों ने जमीन-सम्पत्ति बेच दी। युवाओं ने बड़े कर्ज उठाकर विदेश जाने की कोशिश की। भारत और अमेरिका के ठगों द्वारा मानों उन्हें शिक्षा और रोजगार के नाम पर धोखा देकर ठग लिया गया हो। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में अपने कानून में परिवर्तन करके जो कल तक वैध था उसे आज अवैध बना दिया है। ऐसी स्थिति में अमेरिका और भारत सरकार के लिए जिम्मेदारी और एक चुनौती है। दोनों देशों के लिए इस स्थिति से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तरह की समस्या को कूटनीतिक संवाद और समझौते के माध्यम से सुलझाया जाना जरूरी होता है। पूर्व में हुई सहमति के बावजूद यदि इस तरह का व्यवहार किया जाता है, तो यह दोनों देशों के बीच स्पष्ट तर्क-वितर्क और पारदर्शिता की कमी अथवा जानबूझकर किया जा रहा कृत्य माना जायगा। पीड़ित परिवारों की सुनवाई और दोषी एजेंटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना दोनों देशों की जिम्मेदारी है। इस तरह की घटना प्रवासन कानूनी विषय मात्र नहीं है। यह मानवीय, सामाजिक और आर्थिक समस्या से जुड़ा हुआ प्रश्न है। पिछले 8 महीने में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं उसको देखते हुए ऐसा लगता है कि वह समय-समय पर भारत को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं। ट्रंप प्रशासन ऐसा क्यों कर रहा है, इस बात की जानकारी भारत सरकार को हो सकती है। भारत सरकार को इस तरह की समस्या के निदान के लिए स्वयं आगे आकर पहल करनी चाहिए थी, लेकिन जिस तरह से भारत सरकार ने चुप्पी साध रखी है उससे सभी को आश्चर्य हो रहा है। इसके पहले भारत और अमेरिका के बीच इस तरह के संबंध नहीं थे। यह भी कहा जाता था कि डोनाल्ड ट्रंप के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत दोस्ती इतनी मधुर है कि वह उनके चुनाव प्रचार में भाग लेने के लिए अमेरिका चले गए थे। पिछले कई महीनो से अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप भारत पर टैरिफ लगाने से लेकर कारोबार और पाकिस्तान-भारत के संबंधों को लेकर जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं उसका कोई जवाब भारत नहीं दे रहा है। इसको लेकर अब लोगों के मन में अमेरिका के साथ-साथ भारत सरकार के प्रति भी गुस्सा देखने को मिल रहा है। लोग कहने लगे हैं कि 1971 में जब भारत इतना मजबूत नहीं था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमेरिका को जो जवाब दिया था उसे आज भी पूरी दुनिया नहीं भूली है। 1971 की तुलना में जब हम 100 गुना ज्यादा सशक्त हैं, ऐसी स्थिति में भारत सरकार की चुप्पी यह बता रही है कि डोनाल्ड ट्रंप जानबूझकर भारत को अपमानित कर रहे हैं। इस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो छवि पिछले 10 सालों में बनी थी उसको भी सबसे बड़ा नुकसान हो रहा है। वही आम जनता के मन में यह भय उत्पन्न हो रहा है कि हम पहले जैसे सुरक्षित नहीं रहे। अमेरिका में जिस तरह से प्रवासी भारतीयों के ऊपर हमले बढ़ रहे हैं, उस पर भी भारत सरकार की चुप्पी से लोग हैरान हैं। भारत सरकार को इस घटना को गंभीरता से लेना होगा नहीं तो अमेरिका आगे चलकर इसी तरीके से भारत को अपमानित करता रहेगा जो भारत के हित में नहीं होगा। ईएमएस / 28 अक्टूबर 25