लेख
30-Oct-2025
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(31 अक्टूबर राष्ट्रीय एकता दिवस पर विशेष ) राष्ट्रीय एकता का अर्थ है किसी देश के नागरिकों के बीच एकजुटता और भाईचारे की भावना, जो उन्हें सांस्कृतिक, भाषाई या धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर एक राष्ट्र के रूप में जोड़ती है। इसमें संविधान के प्रति निष्ठा, राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान और देश के लक्ष्यों के प्रति साझा प्रतिबद्धता शामिल है, जो देश को एक इकाई के रूप में बांधता है। राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जिन्हें “भारत का लौह पुरुष” कहा जाता है। इन्होंने स्वतंत्रता के बाद देश की 562 रियासतों का एकीकरण कर भारत की एकता और अखंडता को मजबूत आधार दिया। उनका मानना था कि “हमारा कर्तव्य है कि हम भारत को एक और अखंड बनाए रखें। ”   राष्ट्रीय एकता दिवस का उद्देश्य देश के एकता, अखंडता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने तथा सुदृढ़ करने के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना और देश के विभिन्न राज्यों, भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के बीच एकता की भावना को मजबूत करना है। भारत की राष्ट्रीय एकता आज भी मजबूत है, लेकिन वर्तमान समय में इसके सामने कुछ गंभीर चुनौतियां हैं जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर दिखाई देती हैं। धर्म के आधार पर बढ़ती नफरत और हिंसा समाज में विभाजन पैदा कर रही है। कुछ असमाजिक तत्व काफी सक्रिय हैं जो भारत की एकता के लिए आंतरिक खतरा हैं, क्योंकि वे लोगों के मन में भय, असुरक्षा और अविश्वास पैदा करते हैं। उन्हें राजनैतिक संरक्षण भी मिला हुआ है। राजनीतिक दलों द्वारा वोट बैंक की राजनीति और नफरत फैलाने वाली भाषा से समाज में विभाजन की भावना तेजी से बढ़ रही है। जातिगत भेदभाव अब भी समाज में मौजूद है, जो सामाजिक समरसता को प्रभावित करता है। अमीर और गरीब, शहरी और ग्रामीण के बीच बढ़ती खाई लोगों में असंतोष और असुरक्षा की भावना पैदा करती है। इस कारण कुछ क्षेत्रों में अलगाववादी या चरमपंथी गतिविधियां बढ़ रही है जो राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा है। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और नफरत फैलाने वाली  झूठी खबरें समाज में गलतफहमी और अविश्वास पैदा कर रही है। लोकतंत्र और राष्ट्रीय एकता एक-दूसरे के पूरक हैं। लोकतंत्र नागरिकों को समान अधिकार देता है,और राष्ट्रीय एकता उन अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। राष्ट्रीय एकता लोकतंत्र की मूल आत्मा है। जब सब मिलकर आगे बढ़ते हैं, तब ही “सबका साथ, सबका विकास” संभव होता है। महात्मा गांधीजी ने कहा था कि “भारत की आत्मा उसकी विविधता में बसती है। ” वे धार्मिक सहिष्णुता, अहिंसा और साम्प्रदायिक सौहार्द को राष्ट्रीय एकता की नींव मानते थे। उनका विश्वास था कि सभी धर्मों और जातियों के लोग मिलकर ही स्वतंत्र भारत का निर्माण कर सकते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “एकता में विविधता” की भावना पर जोर दिया। वे भारत को एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत को देखना चाहते थे, जहां सभी नागरिक समान हों। डॉ. भीमराव अम्बेडकर  कहा था कि सामाजिक समानता के बिना राष्ट्रीय एकता संभव नहीं है। इसलिए उन्होंने संविधान में समान अधिकार और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित किया। सुभाष चन्द्र बोस ने कहा   था कि “राष्ट्रीय एकता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। ” वे जाति, धर्म और क्षेत्र से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए एकता का आह्वान करते थे। स्वाधीनता संग्राम के नेताओं का मानना था कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में निहित एकता है। यही भावना आज भी देश को एक सूत्र में बांधे रखती है। बाबा आमटे की भारत जोड़ो यात्रा भारत के इतिहास में एक अत्यंत प्रेरक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण आंदोलन था। यह यात्रा उनके राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और पर्यावरण संरक्षण के गहरे संदेश को लेकर निकाली गई थी। 1980 के दशक में देश में बढ़ती धार्मिक और जातिगत हिंसा को देखकर उन्होंने यह यात्रा निकाली, ताकि लोगों में सौहार्द और मानवीय एकता की भावना जागे। बाबा आमटे की भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य केवल भौगोलिक एकता नहीं, बल्कि मनुष्य से मनुष्य के बीच प्रेम, समानता और सामाजिक एकजुटता स्थापित करना था, ताकि भारत सचमुच “एकता में अनेकता” का जीवंत उदाहरण बना रहे। बाबा आमटे के दूसरे चरण की भारत जोड़ो(1988 में पूरब के अरूणाचल प्रदेश से पश्चिम के ओखा गुजरात तक) यात्रा में मैं भी शामिल था। तब मुझे भारत की विविधता और स्थानीय लोगों के आतिथ्य और प्रेम का एहसास हुआ था। यात्रा का मुख्य नारा था कि जात - धर्म का बंधन तोङो, भारत जोड़ो, भारत जोड़ो। संविधान की प्रस्तावना में भारत को “संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य” घोषित किया गया है। इसमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता  के आदर्श दिए गए हैं जो राष्ट्रीय एकता का आधार हैं। संविधान की अनुच्छेद- 1 में भारत को “राज्यों का संघ कहा गया है। यह देश की राजनीतिक एकता सुनिश्चित करता है। संविधान के मौलिक अधिकार के भाग(3) में अनुच्छेद 14 से 18 तक के अनुसार  जाति, धर्म, लिंग या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। अनुच्छेद 19 से 22 तक सभी नागरिकों को समान स्वतंत्रता देता है। अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। अर्थात सभी धर्मों का समान सम्मान है। अनुच्छेद 51ए के अन्तर्गत नागरिकों का कर्तव्य है कि वे देश की एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखें। राजभाषा का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 343–351 में वर्णित है जिसमें  हिंदी को राजभाषा और अंग्रेज़ी को सहायक भाषा के रूप में स्वीकार कर भाषाई एकता बनाए रखी गई है। संविधान के अनुच्छेद 352–360 में प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रीय संकट के समय केंद्र सरकार को विशेष अधिकार देकर देश की अखंडता और सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। ‌अनुच्छेद -355 के अन्तर्गत  केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह राज्यों की सरकारों को बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति से बचाए। संविधान न केवल अधिकार देता है बल्कि यह हर नागरिक से यह अपेक्षा भी करता है कि वह भारत की एकता, अखंडता और बंधुता की भावना को सशक्त बनाए रखे। वर्तमान केन्द्र सरकार ने “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” अभियान  कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत की विविधता में एकता को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया है। इसमें विभिन्न राज्यों को “जोड़ी राज्य” के रूप में जोड़ा गया ताकि सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक आदान-प्रदान बढ़े। आज भारत की राष्ट्रीय एकता को देश के अंदर से भी कुछ गंभीर खतरे हैं। ये खतरे बाहरी आक्रमण से अधिक आंतरिक सामाजिक, राजनीतिक और मानसिक विभाजनों के कारण उत्पन्न हो रहे हैं। भारत की एकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि हम सहिष्णुता, समानता, सामाजिक न्याय और आपसी सम्मान की भावना को मजबूत करें, ताकि हमारा देश “विविधता में एकता” का वास्तविक उदाहरण बना रहे। इसलिए इस राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के हाशिए पर पड़े समुदायों को मुख्यधारा में लाना और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करना आवश्यक  है। आर्थिक विषमताओं को कम करना सामाजिक तनाव को घटाता है और एकता को मजबूत करता है। राष्ट्र निर्माण के लिए राष्ट्रीय एकता बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह देश में स्थिरता, सामाजिक सद्भाव और प्रगति को बढ़ावा देती है। ( लेखक बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ से जुड़े हैं) ईएमएस / 30 अक्टूबर 25