 
                            केंद्र सरकार ने एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी मिलने के बाद कर्मचारियों के चेहरे खिल उठे है।सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को इस आयोग की अध्यक्ष बनाने वाले प्रस्ताव को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की बैठक में हरी झंडी दिखाई दी।सिफारिशें 1 जनवरी को लागू होगी।यह आयोग सातवे वेतन आयोग की अवधि के समाप्त होने से ठीक पहले आ रहा है।दरअसल, आठवें वेतन आयोग की घोषणा जनवरी में ही कर दी गई थी।नियम तय होने में देरी के कारण कर्मचारी निश्चित नही कर पा रहे थे कि कब लागू होगा।1957 में पहला वेतन आयोग लागू हुआ था।जिसमे रु 55 न्यूनतम वेतन निश्चित था।जिसमे दो हजार रु अधिकतम वेतन की राशि लागू करने का प्रावधान था।लेकिन 1957 में यह लागू नही हो पाया।1960 में अधिकतम रकम तीन हजार और 1973 में न्यूनतम रु 185 वेतन की बढ़ोतरी में 35 सौ रुपये की बढ़ोतरी कर फिटमेंट फैक्टर लागू करने की सिफारिशों के बीच यह फैक्टर टाय टाय फीस हो गया।हालांकि 1957 से 1973 तक वेतन आयोग लागू ही नही हुआ।1986 में न्यूनतम वेतन 750 रु की जगह 8 हजार का फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था।उस दौर में कर्मचारियों 27.6 प्रतिशत वेतन वृद्धि की गई। 2016 में केंद्र सरकार ने 7 वेतन आयोग को हरीझंडीबताई,जिसमे 18 हजार न्यूनतम वेतन प्राप्त कर्मचारियों को सीधा 2 लाख बतीस हजार का फायदा हुआ।दरअसल,18 हजार वेतन वाले कर्मचारियों को सीधा फायदा 2.50 लाख तक पहुंच गया।मोदी सरकार ने 2016 में 23.55 प्रतिशत का फायदा पहुंचाया। केंद्र से अधिसूचना जारी होने के बाद प्रस्ताव राज्य कैबिनेट के पास आएगा, वहां से स्वीकृति के बाद यह लागू किया जाएगा। वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी होगी और पेंशनधारियों को भी राहत मिलेगी। इस फैसले के बाद सरकारी विभागों, शिक्षकों और निगम कर्मियों में उत्साह देखा जा रहा है। ऐतिहासिक रूप से, वेतन आयोग की सिफ़ारिशें हर 10 साल में 1 जनवरी से लागू होती हैं। अभी टीओआर जारी होने के कारण वेतन आयोग की यह प्रक्रिया 2027 तक भी पूरी नहीं होगी।हालांकि इसका फायदा एक जनवरी 2026 से मिलना शुरू हो जाएगा।सैलरी की बढ़ी राशि एरियर के रूप में कर्मचारियों के खातों में पहुंचेगी। इस पैटर्न के अनुसार, 8वें वेतन आयोग का वेतन 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने दिवाली के बाद और बिहार चुनावों से ठीक पहले आठवें वेतन आयोग के लिए नियमों और शर्तों को हरी झंडी दिखाई है।यह फैसला केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद उनके जीवन स्तर में सुधार होने की उम्मीद है। साथ ही, उनकी बढ़ी हुई आय से बाजार में मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। हालांकि, सरकार को इस वेतन वृद्धि से पड़ने वाले वित्तीय बोझ को भी ध्यान में रखना होगा।केंद्र सरकार ने 28 अक्टूबर, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आठवें वेतन आयोग के गठन से जुड़े नियमों और शर्तों को मंजूरी दी है।आमतौर पर हर 10 साल में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं। इसी को देखते हुए आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें भी जनवरी 2026 से शुरू होने की उम्मीद है। दूसरी खुशखबरी है DA में बढ़ोतरी. अभी 55% महंगाई भत्ता कर्मचारियों को मिल रहा है, जिसे 1 जनवरी 2025 को लागू किया गया था।अब जुलाई 2025 की दूसरी किस्त जारी होनी है। CPI के आंकड़ों के अनुसार महंगाई भत्ता 58% तक बढ़ सकता है। मतलब सरकार दिवाली से पहले 3% DA में बढ़ोतरी कर चुकी है। महंगाई भत्ते में इजाफे का ट्रेंड कुछ ऐसा रहा है।हर साल सरकार नॉन गजेटेड ऑफिसर को पीएलबी (प्रोडक्टिविटी लिंकड बोनस) देती है।इस साल भी दिवाली से पहले बोनस के ऐलान होने का प्राविधान रहा है।केंद्र के साथ राज्य कर्मचारियों को भी सीधा फायदा हुआ है।छह करोड़ कर्मचारी लाभान्वित हुए है।मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ सहित अधिकतर राज्यो में केंद्रिय वेतनमान को लागू करने से करीब छह करोड़ कर्मचारी परिवार आठवें वेतन आयोग की वेतन वृद्धि से लाभान्वित होंगे।इससे चुनाव में सतारूढ़ सरकार की मतदाताओ के प्रति सिफारिशें बढ़ती दिखाई दे रही है।दीपावली के इस तीन बड़े तोहफे से कर्मचारियों की खुशी सातवे आसमान में है।साथ लाख करोड़ रुपये वेतन में जाते है।2025-26 में सात लाख रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है।वेतन बढ़ोतरी का फायदा मिल सकता है।2026 से लागू होने पर एरियर का भुगतान लागू होगा।सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि अंतरिम रिपोर्ट आने पर विशिष्ट तिथि तय की जाएगी। गुलाब के पौधे पर कांटे भी होते है और फूल भी।कुछ की दृष्टि कांटो पर पहले जाती है तो कुछ की फूलों पर।कुछ बुराइयों को पहले देखते है,उनकी निगाहे अच्छाई की ओर जाती ही नही,यह भी सृष्टि का ही प्रभाव है।उच्च दृष्टि वाला अच्छे कार्य की ओर देखता है,जबकि संकुचित दृष्टिकोण वाला अच्छे कार्य मे भी त्रुटि निकाल ही देगा। (वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार-लेखक) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 31 अक्टूबर/2025